पूजा पाल का पलटवार: सपा से निष्कासन के बाद बोलीं – “अतीक के आतंक से योगी ने दिलाया न्याय”
समाजवादी पार्टी (सपा) से विधायक पूजा पाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों और अनुशासनहीनता के आरोप में निष्कासित किए जाने के बाद अब उन्होंने पार्टी नेतृत्व पर करारा पलटवार किया है। प्रयागराज की चायल सीट से विधायक रहीं पूजा पाल ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव शायद प्रयागराज की उन महिलाओं की पीड़ा को कभी नहीं समझ पाए, जिन्होंने अपने परिजनों को खोया और सालों तक अतीक अहमद के आतंक का सामना किया।
माताओं-बहनों की आवाज बनीं पूजा पाल
सपा से निकाले जाने के बाद मीडिया से बातचीत में पूजा पाल ने खुद को प्रयागराज की माताओं और बहनों की आवाज बताया। उन्होंने कहा, “मैंने केवल अपनी नहीं, बल्कि उन महिलाओं की पीड़ा को सदन में उठाया है, जिन्होंने वर्षों तक अतीक अहमद के आतंक को झेला है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिर्फ मुझे ही नहीं, बल्कि पूरे प्रयागराज को न्याय दिलाया है।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि अतीक अहमद और उसके गिरोह ने प्रयागराज में दशकों तक भय का वातावरण बना रखा था। कई परिवारों ने अपनों को खोया, महिलाएं असुरक्षित महसूस करती थीं और आम लोग भय के साए में जीने को मजबूर थे। ऐसे माहौल में योगी सरकार की कार्रवाई ने जनता को राहत की सांस दी।
निष्कासन का कारण
दरअसल, यूपी विधानसभा में “विजन डॉक्यूमेंट 2047” पर चल रही 24 घंटे की मैराथन चर्चा के दौरान पूजा पाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर प्रशंसा की थी। उन्होंने खुले तौर पर कहा था कि अतीक अहमद की मौत से उन्हें और कई अन्य महिलाओं को न्याय मिला है। सपा नेतृत्व ने इसे पार्टी लाइन के खिलाफ बयान मानते हुए उन्हें तुरंत पार्टी से बाहर कर दिया।
यह पहली बार नहीं था जब पूजा पाल ने पार्टी के रुख से अलग बयान दिया। राज्यसभा चुनाव में उन्होंने क्रॉस वोटिंग कर सपा को नुकसान पहुँचाया था। इसके अलावा फूलपुर उपचुनाव में भी उन्हें भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार करते देखा गया था। इन गतिविधियों ने सपा नेतृत्व को पहले ही कठोर रुख अपनाने के संकेत दे दिए थे।
भाजपा का रुख और राजनीतिक हलचल
भाजपा नेताओं ने पूजा पाल के बयान का स्वागत किया और इसे योगी सरकार की उपलब्धियों का प्रमाण बताया। पार्टी नेताओं का कहना है कि विपक्ष के विधायक भी अब मुख्यमंत्री की नीतियों से प्रभावित होकर उनकी प्रशंसा कर रहे हैं, जो भाजपा सरकार की लोकप्रियता दर्शाता है।
वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पूजा पाल का भाजपा में शामिल होना अब केवल समय की बात है। प्रयागराज और कौशाम्बी जैसे इलाकों में उनकी मजबूत पकड़ भाजपा के लिए चुनावी दृष्टि से फायदेमंद साबित हो सकती है।
सपा पर उठे सवाल
पूजा पाल के निष्कासन ने समाजवादी पार्टी के भीतर असहिष्णुता और अनुशासन को लेकर बहस छेड़ दी है। विपक्षी दलों का कहना है कि सपा ने विधायक की व्यक्तिगत राय को दबाने की कोशिश की है। दूसरी ओर सपा नेतृत्व का कहना है कि पार्टी अनुशासन से समझौता नहीं कर सकती।