बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण पर सियासी बवाल, महागठबंधन के नेताओं ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से की मुलाकात
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के दौरान सियासी हलचल तेज हो गई है। वोटर लिस्ट में अपना नाम बनाए रखने के लिए प्रपत्र भरना अनिवार्य किया गया है, लेकिन इस प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों के बीच गहरी नाराजगी देखी जा रही है। विपक्षी दल इस पुनरीक्षण अभियान को साजिश करार दे रहे हैं। इस विवाद के बीच, महागठबंधन के नेता शुक्रवार (04 जुलाई, 2025) को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मिलने के लिए पहुंचे, ताकि इस मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज करवा सकें।
🔹 विपक्षी दलों का आरोप
विपक्षी दलों का कहना है कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण चुनावी साजिश का हिस्सा हो सकता है, जिसके माध्यम से विधानसभा चुनाव के करीब ध्यानपूर्वक सूची में बदलाव किए जा सकते हैं। उनका आरोप है कि कुछ क्षेत्रों में बिना सही प्रक्रिया के मतदाता सूची में बदलाव हो सकते हैं, जिससे विधानसभा चुनाव में धांधली हो सकती है।
🔹 महागठबंधन का विरोध
महागठबंधन के नेताओं ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मिलने के बाद कहा कि यदि चुनाव आयोग इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेता है, तो वह आगे स्ट्राइक कर सकते हैं। उन्होंने इस प्रक्रिया में सार्वजनिक पारदर्शिता की मांग की है। महागठबंधन के नेता जद(यू), कांग्रेस, और आरजेडी के सदस्य थे, जिन्होंने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से स्पष्ट आश्वासन देने की मांग की।
🔹 चुनाव आयोग का पक्ष
हालांकि, चुनाव आयोग ने इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि मतदाता सूची में कोई भी बदलाव सभी नियमों और प्रक्रियाओं के तहत किया जाएगा। आयोग ने यह भी कहा कि गहन पुनरीक्षण का उद्देश्य मतदाताओं के नाम सुनिश्चित करना, नए मतदाताओं को जोड़ना, और गलत जानकारी की सुधार करना है।
🔹 मतदाता पुनरीक्षण अभियान का महत्व
मतदाता सूची का पुनरीक्षण प्रक्रिया चुनावी प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है, जिसमें नए मतदाताओं को जोड़ने, मर चुके लोगों के नाम हटाने, और गलत जानकारी को सही करने का काम किया जाता है। इस अभियान का उद्देश्य स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है। इसके तहत सभी मतदाताओं को अपनी जानकारी सही और अद्यतन रखनी होती है, ताकि भविष्य में कोई वोटिंग समस्या न आए।