पीलीभीत के 2,196 पूर्वी पाकिस्तान विस्थापित परिवारों को मिलेगी जमीन का मालिकाना हक, दशकों पुरानी मांग पूरी होगी
उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से विस्थापित हुए 2,196 शरणार्थी परिवारों को बड़ी राहत दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ताजा निर्देश के बाद पीलीभीत जिले के 25 गांवों में बसे इन परिवारों को जमीन का मालिकाना हक देने का फैसला लिया गया है। यह कदम दशकों से लंबित इन परिवारों की मांग को पूरा करेगा।
दशकों पुरानी मांग को मिलेगी मंजूरी
इन शरणार्थी परिवारों को 1960 के दशक में पीलीभीत के विभिन्न गांवों में घर और खेती के लिए जमीन आवंटित की गई थी। हालांकि, तब उन्हें जमीन का मालिकाना हक नहीं दिया गया, जिससे ये परिवार सरकारी कल्याण योजनाओं और अन्य लाभों से वंचित रह गए थे।
अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार, प्रशासन ने इस मामले को प्राथमिकता दी है और जल्द ही इन परिवारों को भूमि स्वामित्व से संबंधित कागजात प्रदान किए जाएंगे। इससे न केवल उनकी जमीन पर अधिकार पक्का होगा, बल्कि वे सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा सकेंगे।
शरणार्थी परिवारों की स्थिति और संघर्ष
1960 में पूर्वी पाकिस्तान से आकर बसे ये परिवार गरीबी और अन्य सामाजिक कठिनाइयों का सामना करते आए हैं। बिना जमीन के मालिकाना हक के वे स्थायी सुरक्षा व पहचान से वंचित रहे, जिससे उनके विकास में बाधा आई। सरकारी सहायता और कल्याण योजनाओं से वंचित रहने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति भी कमजोर रही।
प्रशासन की तैयारियां
पीलीभीत जिला प्रशासन ने भूमि सर्वेक्षण और रिकॉर्ड अपडेट करने का काम शुरू कर दिया है। अधिकारी इन परिवारों को जल्द से जल्द हक देने के लिए आवश्यक दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि हर संभव मदद दी जाएगी ताकि शरणार्थी परिवारों को जल्द से जल्द मालिकाना हक मिल सके।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सरकार का उद्देश्य सभी वर्गों को समान अवसर और सुरक्षा प्रदान करना है। शरणार्थी परिवारों को उनका हक दिलाना हमारी प्राथमिकता है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और समाज में बराबरी से हिस्सेदारी कर सकें।
भविष्य में सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण
मालिकाना हक मिलने के बाद ये परिवार न केवल अपनी जमीन सुरक्षित समझेंगे, बल्कि बैंकिंग सुविधाओं, खेती के लिए ऋण और अन्य योजनाओं का लाभ भी ले पाएंगे। इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच बेहतर होगी।