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ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की तस्करी का भंडाफोड़, एसटीएफ और एफएसडीए की संयुक्त कार्रवाई में तीन गिरफ्तार

 

उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। एसटीएफ (विशेष कार्यबल) और खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) की संयुक्त टीम ने ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की अवैध तस्करी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करते हुए तीन तस्करों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से करीब 1.20 करोड़ रुपये कीमत की 5,87,880 मिलीलीटर ऑक्सीटोसिन बरामद की गई है।

ऑक्सीटोसिन एक प्रतिबंधित दवा है, जिसका उपयोग पशुओं में दूध की निकासी के लिए किया जाता है, लेकिन इसके अत्यधिक और अनियंत्रित प्रयोग से पशुओं के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। इस दवा की बिक्री और वितरण पर सरकार ने सख्त पाबंदी लगा रखी है।

तस्करी का नेटवर्क बिहार से जुड़ा

जांच में सामने आया है कि आरोपी यह प्रतिबंधित इंजेक्शन बिहार से मंगाते थे, और उसमें मिलावट कर आसपास के जिलों में ऊंचे दामों पर सप्लाई करते थे। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में तस्करी का मास्टरमाइंड भी शामिल है, जो लंबे समय से इस धंधे में संलिप्त था और अलग-अलग चैनलों के जरिए यह दवा वितरित करता था।

बरामद ऑक्सीटोसिन की मात्रा चौंकाने वाली

टीम को आरोपियों के पास से भारी मात्रा में ऑक्सीटोसिन से भरे पैकेट्स और इंजेक्शन शीशियां मिली हैं, जिनकी कुल मात्रा 5,87,880 मिलीलीटर है। इस बरामदगी की अनुमानित कीमत 1.20 करोड़ रुपये आंकी गई है। इसके अलावा आरोपियों से तस्करी में प्रयुक्त वाहन, मोबाइल फोन और आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं।

अधिकारियों का बयान

एसटीएफ अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई खुफिया सूचना के आधार पर की गई। टीम ने संबंधित स्थान पर छापा मारकर तीनों आरोपियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। पूछताछ में उन्होंने अपने नेटवर्क और सप्लाई चैन की जानकारी भी दी है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

एफएसडीए के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस तरह की प्रतिबंधित दवाओं की तस्करी न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह जन और पशु स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा भी है। ऐसे मामलों में दोषियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

आगे की जांच जारी

पुलिस और एफएसडीए अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में जुट गई है। संभावना जताई जा रही है कि गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हो सकता है। जांच एजेंसियां यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि इस तस्करी में कहीं कोई फार्मा कंपनी या वितरक भी शामिल तो नहीं।