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नाग पंचमी पर काशी की गलियों में जिंदा होती है रहस्यमयी तांत्रिक परंपरा, ‘महुअर के खेल’ में दिखती है अदृश्य शक्तियों की टक्कर

 

जब पूरे देश में नाग पंचमी के दिन श्रद्धालु नाग देवता की पूजा-अर्चना में लीन होते हैं, तब काशी की प्राचीन गलियों और पावन घाटों पर एक अनोखी और रहस्यमयी परंपरा जीवंत हो उठती है — ‘महुअर का खेल’। यह कोई साधारण खेल नहीं, बल्कि उत्तर भारत और बिहार की गहरी तांत्रिक परंपराओं की झलक है, जिसमें दिखता है अदृश्य शक्तियों का रोमांचकारी संघर्ष।

प्राचीन मान्यताओं और तांत्रिक साधनाओं से जुड़े इस खेल का आयोजन हर वर्ष नाग पंचमी पर वाराणसी के विशेष स्थानों — प्रह्लाद घाट, कोनिया, काल भैरव मंदिर चौराहा, राम घाट, लक्सा, और सनातन धर्म इंटर कॉलेज के पास — किया जाता है। यहां सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु, दर्शक और शोधकर्ता एकत्र होते हैं, जो इस अद्भुत परंपरा को अपनी आंखों से देखने के लिए आतुर रहते हैं।

क्या है महुअर का खेल?

‘महुअर’ कोई पारंपरिक खेल या प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह दो अनुभवी तांत्रिक सपेरों के बीच अदृश्य शक्तियों की टक्कर है। खेल का मैदान बनता है एक घेरा, जिसके बीच में रखे जाते हैं प्रतीकात्मक साँप और तंत्र-साधना से जुड़े वस्त्र, मंत्र, भभूत और तांत्रिक चिन्ह। दोनों प्रतिद्वंदी सपेरे अपने-अपने ‘गुरु-मंत्र’ और साधनाओं के बल पर सामने वाले की शक्ति को निष्क्रिय करने की कोशिश करते हैं। यह मुकाबला कई बार घंटों चलता है और कई बार कुछ ही मिनटों में निर्णायक मोड़ ले लेता है।

रहस्य, रोमांच और श्रद्धा का संगम

महुअर का खेल एक ओर जहां रहस्य और रोमांच से भरपूर होता है, वहीं इसमें स्थानीय लोगों की गहरी श्रद्धा भी झलकती है। लोग मानते हैं कि यह खेल नाग देवता की कृपा पाने और तंत्रिक ऊर्जा को साधने का एक माध्यम है। खेल के दौरान मंत्रोच्चारण, अग्नि-स्नान, राख का प्रयोग और कभी-कभी सांपों की उपस्थिति से माहौल पूरी तरह आध्यात्मिक और रहस्यमय हो जाता है।

लोक संस्कृति और तांत्रिक परंपराओं का जीवंत दस्तावेज

महुअर का खेल अब सिर्फ एक परंपरा नहीं रहा, बल्कि लोक संस्कृति, तांत्रिक विधाओं और आध्यात्मिक ऊर्जा के शोध के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गया है। काशी जैसे आध्यात्मिक नगरी में इसका जीवित रहना यह दर्शाता है कि यहां की जनता न केवल धार्मिक परंपराओं को सहेजती है, बल्कि तांत्रिक परंपराओं को भी एक आध्यात्मिक विज्ञान के रूप में स्वीकार करती है।