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गर्भवती अविवाहित बेटी की हत्या करने वाले पिता को उम्रकैद, एक लाख रुपये जुर्माना

 

जिले में एक बेहद संवेदनशील और दिल दहला देने वाले मामले में अपर सत्र न्यायाधीश (कोर्ट संख्या सात) तबरेज अहमद ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए एक पिता को अपनी अविवाहित गर्भवती बेटी की हत्या के जुर्म में उम्रकैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

यह मामला सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों की एक कड़वी हकीकत को सामने लाता है, जहां इज्जत के नाम पर एक मासूम जान को बेरहमी से खत्म कर दिया गया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, पिता को जब अपनी नाबालिग बेटी के गर्भवती होने की जानकारी मिली, तो वह गुस्से में आ गया और समाज में बदनामी के डर से उसने बेटी की हत्या कर दी।

अदालत का सख्त संदेश

न्यायाधीश तबरेज अहमद ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि कानून हाथ में लेने और जीवन के अधिकार का हनन करने वाले को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि एक पिता से यह उम्मीद नहीं की जाती कि वह अपनी बेटी का रक्षक बनने के बजाय भक्षक बन जाए।

कोर्ट ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। साथ ही यह भी कहा गया कि यदि दोषी यह जुर्माना अदा नहीं करता है, तो उसे एक वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

परिवार की चुप्पी और समाज की खामोशी

यह मामला सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि सामाजिक चेतना से भी जुड़ा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की घटनाएं समाज में महिलाओं के प्रति व्याप्त भेदभाव और झूठी 'इज्जत' की अवधारणाओं को उजागर करती हैं। अक्सर परिवार ऐसे मामलों में बेटियों की मदद करने के बजाय उन्हें सजा देने का माध्यम बन जाते हैं।

क्या था मामला?

घटना की पूरी जानकारी अदालत में पेश साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर सामने आई। लड़की की गर्भावस्था का पता चलते ही पिता ने उसे फटकार लगाई और गुपचुप तरीके से उसकी हत्या कर दी। बाद में शव को ठिकाने लगाने की कोशिश की गई, लेकिन पुलिस की जांच और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर मामला सामने आया और आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया गया।

पुलिस और अभियोजन की सराहना

इस मामले में पुलिस की त्वरित जांच और अभियोजन पक्ष की सशक्त पैरवी ने अदालत को समय से फैसला देने में सहायता की। कोर्ट ने भी इस केस को संवेदनशील मानते हुए जल्द सुनवाई पूरी की।