फर्जी कस्टम अधिकारी बनकर महिला डॉक्टर से ठगी करने वाले को सात साल की सजा
खुद को कस्टम और सीबीआई अधिकारी बताकर लखनऊ की एक महिला डॉक्टर को "डिजिटल अरेस्ट" का झांसा देकर 85 लाख रुपये की ठगी करने वाले शातिर ठग देवाशीष राय को कोर्ट ने दोषी करार देते हुए कड़ी सजा सुनाई है। विशेष कस्टम सीजेएम अमित कुमार यादव की अदालत ने शुक्रवार को आरोपी को सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और 68 हजार रुपये का आर्थिक जुर्माना भी लगाया।
देवाशीष राय, जो कि उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले का निवासी है, ने साइबर अपराध के जरिए महिला डॉक्टर को मानसिक रूप से इतना डरा दिया था कि उन्होंने धीरे-धीरे अपनी जीवन भर की जमा पूंजी उसके खाते में ट्रांसफर कर दी। आरोपी ने खुद को कस्टम और सीबीआई अधिकारी बताकर कहा कि डॉक्टर का नाम अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग केस में आ गया है और अगर वह सहयोग नहीं करतीं तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा।
पीड़ित महिला को "डिजिटल अरेस्ट" की साजिश में फंसाते हुए ठग ने वीडियो कॉल के जरिए सीबीआई ऑफिस जैसा माहौल दिखाया और फर्जी अधिकारियों से बात भी करवाई। इस जाल में फंसकर महिला डॉक्टर ने डर के मारे कई बार में कुल 85 लाख रुपये ठग के बताए बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए।
जांच के दौरान यह बात सामने आई कि देवाशीष राय एक बड़े साइबर अपराध गिरोह से जुड़ा हुआ है जो दिल्ली, नोएडा और मुंबई जैसे बड़े शहरों में सक्रिय है। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस और साइबर सेल की संयुक्त टीम ने तकनीकी निगरानी के बाद देवाशीष को गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ पुख्ता सबूत अदालत में पेश किए।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इस तरह के गंभीर साइबर अपराधों को हल्के में नहीं लिया जा सकता, क्योंकि यह न केवल एक व्यक्ति को आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि समाज में भय और असुरक्षा का माहौल भी पैदा करते हैं। कोर्ट ने देवाशीष राय को दोषी ठहराते हुए कहा कि उसे अपने कृत्य की सजा भुगतनी होगी।
यह मामला उन हजारों साइबर ठगी के मामलों में से एक है जो आजकल डिजिटल माध्यम से आम नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। कोर्ट का यह फैसला एक कड़ा संदेश है कि कानून ऐसे अपराधियों को बख्शने वाला नहीं है।