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छितौना गांव की झड़प के बाद करणी सेना व क्षत्रिय महासभा का बवाल, पुलिस से भिड़ंत में अफसर की वर्दी फाड़ी

 

वाराणसी जिले के चौबेपुर थाना क्षेत्र के छितौना गांव में हाल ही में हुई सामुदायिक झड़प के बाद तनाव लगातार गहराता जा रहा है। घटना को लेकर सियासी बयानबाजी, विरोध प्रदर्शन और सामाजिक संगठनों की सक्रियता ने हालात को और अधिक संवेदनशील बना दिया है। मंगलवार को करणी सेना और क्षत्रिय महासभा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने विरोध स्वरूप हाईवे जाम कर जमकर प्रदर्शन किया, जिससे क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

प्रदर्शनकारियों ने हाईवे किया जाम

छितौना गांव की घटना के विरोध में करणी सेना व क्षत्रिय महासभा के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मंगलवार सुबह हाईवे पर जुटे और जाम लगा दिया। प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ता उग्र हो गए और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने आरोप लगाया कि छितौना गांव की घटना में एक पक्ष विशेष के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है और निष्पक्ष जांच के नाम पर लीपापोती की जा रही है।

पुलिस और प्रदर्शनकारियों में भिड़ंत

प्रदर्शन की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने जाम खुलवाने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने। इसी दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कहासुनी शुरू हो गई, जो देखते ही देखते धक्का-मुक्की में बदल गई। हालात उस समय बिगड़ गए जब दशाश्वमेध क्षेत्र के एसीपी अतुल अंजान की वर्दी का बिल्ला एक प्रदर्शनकारी ने नोच दिया। इस घटना से पुलिस बल में आक्रोश फैल गया, लेकिन स्थिति को संभालते हुए अधिकारियों ने बल प्रयोग करने के बजाय संयम बरता।

भारी पुलिस बल की तैनाती, जाम हटाया गया

करीब दो घंटे तक चले बवाल के बाद पुलिस ने अतिरिक्त बल बुलाकर जाम को हटवाया। एसपी ग्रामीण के नेतृत्व में मौके पर कई थानों की फोर्स तैनात की गई। अंततः अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर समझाया और मामला शांत कराया गया। फिलहाल छितौना गांव सहित आसपास के इलाकों में पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है।

सियासत भी गरमाई

इस पूरे मामले ने सियासी तूल भी पकड़ लिया है। विभिन्न दलों के नेताओं ने बयानबाजी शुरू कर दी है। कुछ नेताओं ने सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया, तो कुछ ने हिंसा की निंदा करते हुए शांति की अपील की है। वहीं, स्थानीय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वह किसी भी वर्ग या समुदाय से हो।