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कानपुर में पशु व्यापारी से मारपीट और लूट मामले में 11 पुलिसकर्मी निलंबित, सिर्फ 500 रुपये के लिए छोड़ी ड्यूटी

 

अलीगढ़ निवासी एक पशु व्यापारी से मारपीट कर रुपये छीनने के मामले में कानपुर पुलिस के 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई सोमवार को हुई, जब एडीसीपी साउथ की जांच में सभी पुलिसकर्मी प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए। हैरानी की बात यह है कि सिर्फ 500 रुपये की वसूली के लिए इन पुलिसकर्मियों ने अपनी तय पीआरवी लोकेशन छोड़कर व्यापारी को निशाना बनाया।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला शनिवार का है, जब अलीगढ़ निवासी एक पशु व्यापारी कानपुर आया था। व्यापारी ने आरोप लगाया कि पीआरवी (Police Response Vehicle) पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे रोका, बिना किसी वैध कारण के मारपीट की और 500 रुपये जबरन छीन लिए। इस घटना से न केवल पीड़ित आहत हुआ, बल्कि इसका वीडियो और विवरण सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे पुलिस विभाग की छवि को भारी नुकसान हुआ।

जांच में पुष्टि हुई लापरवाही

घटना की जांच का जिम्मा एडीसीपी साउथ को सौंपा गया था। जांच में पाया गया कि—

  • सभी 11 पुलिसकर्मी अपनी तय ड्यूटी लोकेशन से बिना अनुमति हटे थे।

  • घटना के वक्त किसी तरह की आपात स्थिति या अपराध सूचना नहीं थी, फिर भी उन्होंने व्यापारी को रोका।

  • पुलिसकर्मियों ने व्यवसायिक उद्देश्य से दबाव बनाकर पैसे की मांग की, और ना देने पर दुव्यवहार और मारपीट की।

जांच में इन तथ्यों की पुष्टि होने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने सभी 11 पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।

कानपुर पुलिस आयुक्तालय की सख्ती

कानपुर पुलिस ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,

"पुलिस की वर्दी पहनने वाला हर व्यक्ति विभाग का चेहरा होता है। यदि कोई भी कर्मी जनता से दुर्व्यवहार करता है या अनुशासनहीनता करता है, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।"

विभागीय जांच के आदेश

निलंबन के साथ-साथ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। जांच में यह भी देखा जाएगा कि क्या इस तरह की गतिविधियों में अन्य पुलिसकर्मी या वरिष्ठ अधिकारी भी संलिप्त हैं। साथ ही, पीड़ित पशु व्यापारी के बयान के आधार पर एफआईआर दर्ज कर आगे की विधिक कार्रवाई की जा सकती है।

जनता में रोष, विश्वास पर असर

यह घटना पुलिस की छवि पर गहरा असर डालने वाली है। आम लोग, विशेषकर व्यापारी वर्ग, पुलिस से सहयोग की अपेक्षा रखते हैं, लेकिन जब संरक्षक ही उत्पीड़क बन जाए, तो सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होते हैं।