धर्मांतरण मामले में छांगुर बाबा का जाल औरैया तक फैला, महिला ने तीन महीने मस्जिद में कैद रहने का लगाया आरोप
प्रदेश में अवैध धर्मांतरण के मामलों से जुड़ा छांगुर पीर बाबा उर्फ जमालुद्दीन का नेटवर्क लगातार विस्तार लेता नजर आ रहा है। अब इस जाल का सिरा औरैया जिले के अजीतमल क्षेत्र तक पहुंच गया है, जहां एक महिला ने छांगुर बाबा और उसके गुर्गों पर जबरन धर्मांतरण कराने का गंभीर आरोप लगाया है।
महिला का आरोप है कि उसे छांगुर के गुर्गों ने बहला-फुसलाकर पहले अपने साथ फतेहपुर ले जाया, जहां उसे एक मस्जिद में तीन महीने तक कैद रखा गया। इस दौरान उस पर मानसिक और धार्मिक दबाव बनाया गया और अंततः छांगुर बाबा के माध्यम से उसका ऑनलाइन धर्मांतरण करवा दिया गया।
हालांकि, पीड़िता ने इस घटना की कोई औपचारिक शिकायत पुलिस में दर्ज नहीं कराई है, लेकिन अब यह मामला सामने आने के बाद स्थानीय पुलिस सक्रिय हुई है और महिला के दावों की जांच किए जाने की बात कही जा रही है।
अजीतमल कोतवाली पुलिस के अनुसार, मामला बेहद संवेदनशील है और सभी तथ्यों की जांच की जा रही है। महिला से संपर्क किया जा रहा है ताकि वह अपना बयान दर्ज कराए और पूरे घटनाक्रम की पुष्टि हो सके।
सूत्रों के मुताबिक, छांगुर बाबा का नेटवर्क सिर्फ एक जिले तक सीमित नहीं था। इससे पहले भी उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में सैकड़ों युवाओं को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने और बहलाने-फुसलाने के आरोप लग चुके हैं। छांगुर पर धार्मिक भावना भड़काने, जबरन धर्मांतरण, और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों जैसे कई मामलों में जांच चल रही है।
अब औरैया की महिला द्वारा लगाए गए आरोप छांगुर बाबा की गंभीर स्तर पर फैली गतिविधियों की पुष्टि करते हैं। यह प्रकरण साफ तौर पर संकेत करता है कि छांगुर और उसके नेटवर्क ने मुलायम लक्ष्यों के रूप में महिलाओं और कमजोर वर्गों को निशाना बनाया, खासकर उन्हें जो सामाजिक या आर्थिक रूप से कमजोर स्थिति में थीं।
राज्य सरकार और सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही छांगुर नेटवर्क पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं, और अब यह नया मामला भी धर्मांतरण मॉड्यूल की गहराई और विस्तार को उजागर करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह केस अगर साबित होता है, तो यह न केवल जबरन धर्मांतरण कानूनों के उल्लंघन का मामला होगा, बल्कि मानवाधिकारों के हनन और धार्मिक स्वतंत्रता की गंभीर अनदेखी का भी प्रतीक होगा।
फिलहाल पुलिस मामले की तह तक जाने की कोशिश में जुटी है और महिला का बयान दर्ज होने के बाद उचित कानूनी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि धर्मांतरण के नाम पर चल रहे संगठित नेटवर्क को जड़ से उखाड़ने के लिए केवल सतही कार्रवाई नहीं, बल्कि गहरी और व्यापक जांच जरूरी