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आजमगढ़ में अनोखा मामला, चोरी के शक में पुलिस ने दोनों पक्षों को मंदिर में दिलाई गंगाजल की कसम, भगवान पर छोड़ा फैसला

 

जिले के सरावां गांव में एक अनोखा और चर्चा का विषय बन चुका मामला सामने आया है, जहां जेवरात की चोरी के मामले में जब पुलिस किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुँच सकी, तो थानाध्यक्ष ने दोनों पक्षों को मंदिर में जाकर गंगाजल की कसम खाने की सलाह दी। इस सुझाव को दोनों पक्षों ने स्वीकार किया और मंदिर में जाकर भगवान के समक्ष अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए निर्णय ईश्वर पर छोड़ दिया।

मामला तब शुरू हुआ जब गांव के एक निवासी ने आरोप लगाया कि उसके घर से कीमती जेवरात चोरी हो गए हैं। शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की, लेकिन कई दिनों की छानबीन के बावजूद कोई ठोस सबूत या आरोपी पुलिस के हाथ नहीं लग पाया। घटनास्थल से कोई विशेष सुराग नहीं मिलने के कारण पुलिस की जांच एक निष्कर्ष तक नहीं पहुँच सकी।

थानाध्यक्ष ने दोनों पक्षों से बातचीत की और सामाजिक समरसता बनाए रखने के उद्देश्य से उन्हें आपसी समझदारी से हल निकालने का सुझाव दिया। उन्होंने दोनों पक्षों को पास के एक मंदिर में जाकर भगवान के सामने गंगाजल हाथ में लेकर सच्चाई की कसम खाने की सलाह दी।

गुरुवार को गांव के प्रसिद्ध मंदिर में दोनों पक्षों की मौजूदगी में यह अनोखी प्रक्रिया पूरी हुई। दोनों पक्षों ने हाथ में गंगाजल लेकर कसम खाई कि यदि उन्होंने चोरी नहीं की है तो भगवान उन्हें न्याय दिलाएंगे। वहीं, पीड़ित पक्ष ने भगवान के दरबार में अपनी आस्था जताते हुए कहा कि जब इंसानी कानून किसी निष्कर्ष तक न पहुंचे, तो ईश्वर ही न्याय करते हैं।

इस घटनाक्रम को देखने के लिए बड़ी संख्या में गांववाले मंदिर परिसर में एकत्र हुए थे। ग्रामीणों ने भी इस अनोखे निर्णय प्रक्रिया को शांति और विश्वास से सराहा और कहा कि यह तरीका शायद विवाद को और बढ़ाने से बेहतर था।

हालांकि, इस तरह के मामलों में पुलिस द्वारा धार्मिक तरीकों का सहारा लेना एक नई और विवादास्पद दिशा की ओर इशारा करता है। जहां एक ओर कुछ लोग इसे ग्रामीण समाज की परंपराओं के अनुरूप मान रहे हैं, वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह पुलिस तंत्र की कमजोरी को दर्शाता है।