33 करोड़ की संपत्ति कुर्की पर हाईकोर्ट ने रोक, निवेशकों के मुआवजे की प्रक्रिया प्रभावित
अलीगढ़ के टप्पल क्षेत्र में निवेशकों से भूमि निवेश के नाम पर ठगी करने वाले एक रीयल स्टेट ग्रुप की 33 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने की अलीगढ़ पुलिस की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। यह प्रदेश में भारतीय न्याय संहिता के तहत अति बड़ी संपत्ति कुर्की की पहली घटना थी।
सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने ठगी के मामले में इस रीयल स्टेट ग्रुप की संपत्ति कुर्क कर निवेशकों के मुआवजे की प्रक्रिया शुरू की थी। इस संपत्ति कुर्की के बाद पुलिस टीम को डीजीपी और एसएसपी स्तर से पुरस्कार भी दिया गया था।
हालांकि, हाईकोर्ट की रोक ने इस पूरी प्रक्रिया को अचानक बाधित कर दिया है। नीलामी और मुआवजा वितरण की प्रक्रिया पर फिलहाल ठहराव लग गया है। यह रोक विशेष रूप से 500 निवेशकों और प्लाट खरीदारों के लिए चिंता का कारण बन गई है, जिन्हें इस राशि के जरिए मुआवजा मिलने की उम्मीद थी।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद उन्होंने आगे की कार्रवाई फिलहाल रोक दी है और कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अगली रणनीति तैयार की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट की रोक के बावजूद टीम पूरी तरह से मामले की जांच और निवेशकों के हित की सुरक्षा में लगी हुई है।
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि रीयल स्टेट निवेश में निवेशकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़ी रकम के निवेश से पहले कानूनी और दस्तावेजी जांच करना जरूरी है। ऐसे ठगी के मामलों में समय रहते कार्रवाई करना निवेशकों के हित में होता है।
स्थानीय नागरिक और प्रभावित निवेशक हाईकोर्ट के आदेश से चिंतित हैं। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि मामले में जल्द से जल्द हल निकाल कर मुआवजा वितरण की प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि हाईकोर्ट की रोक का उद्देश्य प्रक्रिया की पारदर्शिता और कानून की सही तरीके से पालना सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि कोर्ट का आदेश लंबी अवधि में निवेशकों और अन्य हितधारकों के लिए लाभकारी साबित होगा।
इस मामले ने अलीगढ़ में निवेशकों और रियल स्टेट समूहों के बीच सतर्कता की आवश्यकता को उजागर किया है। अलीगढ़ पुलिस की यह पहल निवेशकों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम माना गया था, लेकिन हाईकोर्ट की रोक ने इसे फिलहाल चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
अब निवेशक और प्रशासन दोनों ही कोर्ट के अगले आदेश का इंतजार कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस संपत्ति की नीलामी और मुआवजा वितरण प्रक्रिया के जल्द पुनः आरंभ होने से निवेशकों को राहत मिलेगी और भविष्य में इस तरह के मामलों से निपटने की बेहतर रणनीति तैयार की जा सकेगी।