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गाजियाबाद में फर्जी दूतावास का भंडाफोड़, हर्षवर्धन जैन गिरफ्तार, काल्पनिक देशों के नाम पर चल रहा था हवाला रैकेट

 

उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) की नोएडा यूनिट ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए गाजियाबाद के कविनगर इलाके में फर्जी दूतावास चलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस ऑपरेशन में हर्षवर्धन जैन नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जो खुद को काल्पनिक देशों का दूत बताकर लोगों को गुमराह कर रहा था और अवैध हवाला कारोबार भी चला रहा था।

क्या है पूरा मामला?

UP STF को गुप्त सूचना मिली थी कि गाजियाबाद के कविनगर क्षेत्र में कुछ संदिग्ध गतिविधियां हो रही हैं और वहां से कथित रूप से विदेशी दूतावास जैसा संचालन किया जा रहा है। छापेमारी के दौरान STF को एक ऐसा नेटवर्क मिला, जहां वेस्ट आर्कटिक, सैबोर्गा, पॉलविया और लोडोनिया जैसे काल्पनिक देशों के नाम पर फर्जी दूतावास बनाए गए थे

हर्षवर्धन जैन खुद को इन देशों का कॉन्सुल जनरल/राजदूत (Ambassador) बताता था और विदेशी झंडों, नामपट्टियों, नकली पासपोर्ट, लेटरहेड, सील और दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहा था ताकि इस नेटवर्क को असली दूतावास का रूप दिया जा सके।

हवाला कारोबार का भी खुलासा

छानबीन के दौरान STF को यह भी पता चला कि हर्षवर्धन जैन ने इन फर्जी दूतावासों की आड़ में अवैध हवाला लेनदेन और विदेशी निवेश के नाम पर फर्जीवाड़ा शुरू कर रखा था। शुरुआती जांच में लाखों रुपये के लेनदेन के साक्ष्य मिले हैं। STF के अनुसार, यह नेटवर्क धोखाधड़ी, जालसाजी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर मामलों में लिप्त था।

गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ जारी

हर्षवर्धन जैन को STF ने तत्काल हिरासत में ले लिया और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471 सहित कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। साथ ही फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) और UAPA जैसी गंभीर धाराएं जोड़ने पर विचार किया जा रहा है।

UP STF अधिकारियों का कहना है कि

“यह केवल धोखाधड़ी का मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा एक गंभीर मुद्दा है। आरोपी के संपर्क कहां-कहां तक फैले हैं, इसकी जांच की जा रही है।”

अंतरराष्ट्रीय नामों का दुरुपयोग

विशेषज्ञों के अनुसार, जिन देशों के नामों का इस्तेमाल हर्षवर्धन जैन कर रहा था, वे या तो काल्पनिक माइक्रोनेशन्स (Micronations) हैं या फिर असत्यापित और अमान्य क्षेत्रीय संस्थाएं। इनके नाम पर आम जनता को गुमराह कर विसा, नागरिकता, निवेश और पद दिलाने के नाम पर पैसे वसूले जा रहे थे।

निष्कर्ष

STF की इस कार्रवाई से यह साफ हो गया है कि अपराधी किस हद तक फर्जीवाड़े का जाल फैला सकते हैं, और आम लोगों को आकर्षक पदों और विदेशी नामों के बहाने फंसाया जा सकता है। यह मामला केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी का नहीं, बल्कि देशभर में फैले एक संभावित अंतरराष्ट्रीय ठगी नेटवर्क की शुरुआत का संकेत भी हो सकता है।

पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि इस जालसाजी से कितने लोग प्रभावित हुए और क्या इस नेटवर्क के तार देश के बाहर तक जुड़े हैं।