गंगा का बढ़ता जलस्तर बना संकट, चौथी बार आरती स्थल बदला, शवदाह क्रिया में बाधा
पवित्र गंगा नदी के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोतरी से वाराणसी में धार्मिक और दैनिक क्रियाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। शुक्रवार को जलस्तर एक बार फिर बढ़ने के कारण चौथी बार गंगा आरती का स्थल बदलना पड़ा, जिसके चलते अब छत पर मां गंगा की आरती की जा रही है।
इस असामान्य स्थिति से मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह क्रिया में भी गंभीर समस्याएं खड़ी हो गई हैं। वहीं, वरुणा नदी में भी गंगा के बढ़ते दबाव के कारण जल हलचल तेज हो गई है, जिससे कई निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
गंगा आरती का स्थान अब छत पर
वाराणसी में हर दिन दशाश्वमेध घाट और अन्य प्रमुख घाटों पर होने वाली गंगा आरती न केवल धार्मिक श्रद्धालुओं बल्कि पर्यटकों के लिए भी बड़ा आकर्षण होती है। लेकिन इस बार गंगा के लगातार बढ़ते जलस्तर ने परंपराओं को भी बाधित कर दिया है।
पिछले कुछ दिनों से आरती स्थल बार-बार बदलना पड़ रहा है, और शुक्रवार को चौथी बार आरती को छत पर स्थानांतरित किया गया, जहां से भक्तजन और पुरोहितगण मां गंगा की आराधना कर रहे हैं।
श्मशान घाटों पर परेशानी
गंगा किनारे स्थित मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट, जहां हिंदू धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किए जाते हैं, वहां जलस्तर के बढ़ने से चिता जलाने की जगहें पानी में डूब गई हैं। इससे शवदाह में बाधाएं आ रही हैं और परिजनों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
स्थानीय पंडों और घाट कर्मचारियों के अनुसार,
"एक-एक चिता के बीच समय अंतराल बहुत बढ़ गया है। कई शवों को अस्थायी इंतजार कक्षों में रखना पड़ रहा है।"
वरुणा नदी में भी असर
गंगा का जलस्तर बढ़ने से उसका प्रभाव वरुणा नदी पर भी दिखने लगा है। वरुणा नदी के किनारे बसे निचले इलाके, जैसे आदमपुर, कोदई चौकी, और चौकाघाट में जलभराव की स्थिति बन सकती है। नगर निगम और प्रशासन ने तटीय इलाकों में अलर्ट जारी कर निगरानी बढ़ा दी है।
जलस्तर और चेतावनी
सिंचाई विभाग और जल आयोग के अनुसार, गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से कुछ ही नीचे चल रहा है, और अगले 48 घंटों में स्थिति और गंभीर हो सकती है यदि बारिश का सिलसिला जारी रहा। फील्ड टीमें लगातार घाटों की निगरानी कर रही हैं और नाव संचालन को सीमित कर दिया गया है।