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यूपी विधानसभा में फतेहपुर मंदिर बनाम मकबरा विवाद पर सियासी बह

 

उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को फतेहपुर मंदिर बनाम मकबरा मामले का मुद्दा गरमा गया। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सदन में राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है

माता प्रसाद पांडेय ने अपने भाषण में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में मदरसा और मज़ार तोड़कर सामाजिक और धार्मिक माहौल को खराब करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह कदम केवल राजनीतिक लाभ के लिए उठाए जा रहे हैं और इससे समाज में तनाव और असुरक्षा की भावना फैल रही है।

सपा नेताओं ने विधानसभा में इस विषय पर विस्तृत चर्चा कराने की मांग की। उनका कहना था कि यह मामला केवल धार्मिक विवाद का नहीं है, बल्कि प्रदेश में शांति और सौहार्द बनाए रखने का भी प्रश्न है। उन्होंने सरकार से अपील की कि इस तरह के कदम उठाने से पहले सभी समुदायों की भावनाओं का ध्यान रखा जाए।

विपक्षी दलों का कहना है कि ऐसे विवादों का इस्तेमाल केवल वोट बैंक राजनीति और चुनावी रणनीतियों के लिए किया जा रहा है। उन्होंने विधानसभा में इसे लेकर कड़े कदम उठाने और पारदर्शिता बनाए रखने की आवश्यकता बताई।

विशेषज्ञों का कहना है कि धार्मिक स्थलों और ऐतिहासिक मकबरों के मामलों में संवेदनशीलता बेहद जरूरी है। यदि सरकार या स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई समाज में असंतोष उत्पन्न करती है, तो इसका असर राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक मेल-जोल पर पड़ सकता है।

इस मुद्दे पर भाजपा और सपा के बीच विधानसभा में तीखी बहस भी हुई। भाजपा के कई विधायक इस विषय पर अलग दृष्टिकोण रखते हुए कहते हैं कि यह मामला केवल कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई का है, न कि सांप्रदायिक भेदभाव का। वहीं, सपा नेताओं ने इसे साम्प्रदायिक तनाव बढ़ाने वाला कदम बताया।

माता प्रसाद पांडेय ने विधानसभा में यह भी कहा कि इस तरह के विवादों से न केवल प्रदेश का शांति और सौहार्द प्रभावित होता है, बल्कि आम जनता का भरोसा भी कम होता है। उन्होंने सरकार से सभी धर्मों और समुदायों के प्रति समान दृष्टिकोण अपनाने की अपील की।

अंततः, फतेहपुर मंदिर बनाम मकबरा विवाद ने यूपी विधानसभा में सियासी और सामाजिक बहस को जन्म दिया है। विपक्षी दल इसे सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का मौका मान रहे हैं, जबकि सरकार इसे कानून और प्रशासनिक प्राधिकरण के तहत कार्रवाई बताती है।

इस तरह, यह मामला केवल धार्मिक स्थल तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी प्रदेश के लिए महत्वपूर्ण बन गया है। आगामी दिनों में इसके समाधान और बहस का तरीका राज्य की राजनीति और साम्प्रदायिक संतुलन दोनों पर असर डाल सकता है।