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गाजियाबाद में फर्जी एंबेसडर हर्षवर्धन जैन गिरफ्तार, 4 महीने पहले डॉ. केएस राणा भी हुआ था गिरफ्तार

 

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक और चौंकाने वाली ठगी और जालसाजी की घटना सामने आई है। इस बार यूपी एसटीएफ ने एक ऐसे ठग को गिरफ्तार किया है, जिसने चार अलग-अलग देशों के फर्जी दूतावास बनाकर लोगों को विदेश भेजने और नौकरी दिलाने के नाम पर ठगा। आरोपी हर्षवर्धन जैन को कविनगर इलाके से गिरफ्तार किया गया है, और उसके खिलाफ भारी मात्रा में फर्जी दस्तावेज, विदेशी मुद्रा, पासपोर्ट, स्टैंप, लग्जरी गाड़ियां और घड़ियां बरामद की गई हैं।

हर्षवर्धन खुद को एक प्रभावशाली इंटरनेशनल कंसल्टेंट बताता था और विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगार युवाओं को झांसे में लेता था। वह न केवल अपने शिकार को झूठी उम्मीदें देता था, बल्कि चार देशों – जिनके नाम अभी स्पष्ट नहीं किए गए हैं – के फर्जी दूतावास एक किराए की कोठी में स्थापित कर चुका था।

केएस राणा की गिरफ्तारी से मिलती है कहानी

हर्षवर्धन की गिरफ्तारी से पहले, इसी साल करीब चार महीने पहले गाजियाबाद से ही एक और बड़ा नाम सामने आया था — डॉ. केएस राणा। उसने खुद को ओमान का हाई कमिश्नर बताकर ठगी और धोखाधड़ी की थी। राणा पर भी विदेशों में नौकरी, डिप्लोमैटिक कनेक्शन और ऊंची पहुंच का दावा कर लोगों से पैसे वसूलने का आरोप था।

राणा ने खुद को डॉक्टर और राजनयिक के रूप में पेश कर कई लोगों को अपने जाल में फंसाया था। उसकी गिरफ्तारी ने यह साबित कर दिया था कि गाजियाबाद जैसे शहरों में भी अब अंतरराष्ट्रीय ठगी के नेटवर्क सक्रिय हो चुके हैं। फिलहाल राणा जेल में बंद है, लेकिन उसकी धोखाधड़ी की कहानी अब हर्षवर्धन के मामले से काफी मिलती-जुलती दिख रही है।

क्या है समानता?

दोनों ही मामलों में यह समानता साफ देखी जा सकती है:

  • दोनों ने विदेशी कनेक्शन और फर्जी डिप्लोमैटिक पहचान का इस्तेमाल किया।

  • बेरोजगार और भोले-भाले लोगों को विदेश भेजने और नौकरी दिलाने का झांसा दिया।

  • दोनों के पास से फर्जी पासपोर्ट, स्टैंप, विदेशी मुद्रा और लग्जरी सामान बरामद हुए।

  • दोनों गाजियाबाद में सक्रिय थे और खुद को उच्च पदों पर दिखाने का ढोंग करते थे।

एसटीएफ की जांच जारी

एसटीएफ ने हर्षवर्धन जैन को पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया है और उससे यह जानकारी ली जा रही है कि क्या उसका कोई नेटवर्क विदेशों में भी फैला है। इसके अलावा, यह भी जांच की जा रही है कि उसने कितने लोगों से कितनी रकम वसूली और कितने लोगों को फर्जी तरीके से विदेश भेजा या भेजने की कोशिश की।

क्या कहता है प्रशासन?

राज्य पुलिस और गाजियाबाद प्रशासन अब इस बात को लेकर सतर्क हो गया है कि ऐसे फर्जी राजनयिकों का नेटवर्क कहीं व्यापक तो नहीं। ऐसे मामलों ने यह साबित कर दिया है कि अपराधी अब ठगी के लिए भी कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर की पहचान का सहारा लेने लगे हैं, जिससे आम आदमी जल्दी उनकी बातों में आ जाता है।