×

अलग रह रही पत्नी को मिलेगी पति की पारिवारिक पेंशन: इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

 

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि पति की मृत्यु के बाद उसकी वैधानिक पत्नी को पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने का पूरा अधिकार है, भले ही वह पति से अलग रह रही हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी का यह अधिकार नॉमिनी बनाए गए बेटों से भी ऊपर है

क्या है मामला?

यह मामला एक सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन को लेकर उठा विवाद था। कर्मचारी की मौत के बाद उसकी पहली पत्नी ने पारिवारिक पेंशन के लिए आवेदन किया, जबकि मृतक कर्मचारी के बेटों ने दावा किया कि चूंकि वे पिता के नॉमिनी हैं, इसलिए उन्हें पेंशन का अधिकार है।

हालांकि, पति और पत्नी वर्षों से अलग रह रहे थे लेकिन कोई विधिक तलाक नहीं हुआ था। इसी आधार पर पत्नी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।

हाईकोर्ट का तर्क

न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि:

"कानूनी रूप से विवाहित पत्नी, भले ही वह पति से अलग रह रही हो, उसे पति की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन का प्रथम अधिकार प्राप्त है। नॉमिनी की भूमिका केवल एक ट्रस्टी की होती है, वह लाभार्थी नहीं होता।"

कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि नॉमिनी होना केवल भुगतान की प्रक्रिया में सुविधा देता है, लेकिन अंतिम अधिकार कानूनन मान्यता प्राप्त उत्तराधिकारी का ही होता है, जो इस मामले में पत्नी है।

प्रशासन को दिए निर्देश

कोर्ट ने संबंधित विभाग को निर्देश दिया कि वह सात दिनों के भीतर मृत कर्मचारी की वैधानिक पत्नी को पारिवारिक पेंशन स्वीकृत करे। साथ ही, बेटों द्वारा पेंशन पर जताया गया दावा अस्वीकार कर दिया गया

कानूनी महत्व

यह फैसला उन मामलों में मील का पत्थर साबित हो सकता है, जहां पति-पत्नी के बीच संबंध विच्छेद के बावजूद विधिक रूप से तलाक नहीं हुआ है और पेंशन के दावों में विवाद उत्पन्न होता है। हाईकोर्ट के इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि:

  • नॉमिनी का दर्जा लाभार्थी से नीचे होता है

  • कानूनी पत्नी का अधिकार सर्वोपरि होता है

  • अलगाव का अर्थ विवाह विच्छेद नहीं होता