JHASI ट्रेन से उतरते समय पूरा परिवार गिरकर हुआ घायल
बताते चलें कि लोकमान्य तिलक से झांसी की ओर ट्रेन क्रमांक 02103 गोरखपुर एक्सप्रेस आ रही थी। ट्रेन में यात्री हरीशंकर (45) निवासी न्यू पंप हाउस बबीना अपनी पत्नी मंजू (40) और 9 वर्षीय बेटे सार्थक के साथ यात्रा कर रहे थे। ट्रेन जब बबीना स्टेशन पहुंची उस समय उसकी गति धीमी थी। यह देखकर हरीशंकर अपनी पत्नी और बच्चे के साथ चलती ट्रेन से उतरने लगा। इसी दौरान संतुलन बिगड़ा और तीनों प्लेटफार्म पर गिर गए। इसमें बच्चा ट्रेन से टकराकर घायल हो गया तो वहीं दम्पति प्लेटफार्म पर गिरकर घायल हो गया। यह देख प्लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी मच गई। आनन-फानन में जीआरपी व आरपीएफ मौके पर पहुंची और एम्बुलेंस डायल 108 के ड्राइवर शोभेंद्र कुमार एवं अमित कुमार की मदद से तत्काल घायलों को उपचार के लिए मेडिकल कालेज भेजा। जहां हालत गम्भीर होने पर उन्हें ग्वालियर रेफर कर दिया गया। बताया गया है कि दंपत्ति बच्चे के साथ इटारसी गाए हुए थे और वो मंगलवार को वहा से लौट रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था एक आदेश
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ट्रेन से उतरते समय या चढ़ते समय यात्री की मौत या उसका घायल होना ‘ अप्रिय घटना ’ है और ऐसी स्थिति में यात्री मुआवजे का हकदार है. इस स्थिति को उसकी लापरवाही नहीं मानी जा सकता है. वहीं, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ रेलवे परिसर में किसी शव या घायल के होने से यह निर्णय नहीं हो जाएगा कि घायल या मृत मुआवजे के संबंध में ‘वास्तविक यात्री’ था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यात्री के पास टिकट के न होने से उसे मुआवजे से मना नहीं किया जा सकता है और मुआवजे के दावेदार को जरूरी दस्तावेज पेश कर अपने मामले को साबित करना होगा. न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यामूर्ति रोहिंनटन एफ नरीमन की पीठ ने यह निर्णय दिया