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ऊर्जा मंत्री एके शर्मा का सख्त संदेश: लापरवाही और टालमटोल बर्दाश्त नहीं, समयबद्ध कार्य संस्कृति हो प्राथमिकता

 

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को स्पष्ट संदेश दिया है कि विभाग की कार्य संस्कृति में जनसुनवाई, जवाबदेही और समयबद्ध कार्यवाही अनिवार्य रूप से शामिल होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अब लापरवाही, टालमटोल और उपभोक्ताओं की समस्याओं की अनदेखी किसी भी हाल में सहन नहीं की जाएगी।

ऊर्जा मंत्री ने विभागीय समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार का यह संकल्प है कि हर नागरिक को 24 घंटे सुचारु, गुणवत्तापूर्ण और निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही, उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान तय समयसीमा के भीतर किया जाना चाहिए।

उन्होंने दो टूक कहा कि बिजली विभाग आमजन की बुनियादी जरूरतों से जुड़ा है, इसलिए इसमें जवाबदेही सबसे महत्वपूर्ण है। उपभोक्ता अगर शिकायत कर रहा है तो इसका मतलब है कि कहीं न कहीं व्यवस्था में चूक है, जिसे तुरंत ठीक किया जाना चाहिए।

एके शर्मा ने यह भी कहा कि फील्ड स्तर के अधिकारी नियमित रूप से जनसुनवाई करें और उपभोक्ताओं से सीधे संवाद बनाएं। शिकायतों को लंबित रखना या उसमें टालमटोल की प्रवृत्ति अब ऊर्जा विभाग में स्वीकार्य नहीं होगी। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

बैठक में मंत्री ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा है कि प्रदेश का बिजली तंत्र पूरी तरह पारदर्शी, उत्तरदायी और तकनीकी रूप से सक्षम बने। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि शिकायत निस्तारण की प्रक्रिया में तकनीक का अधिकतम उपयोग करें ताकि जवाबदेही तय हो और किसी भी स्तर पर लापरवाही न हो।

एके शर्मा ने बिजली आपूर्ति में क्षेत्रवार शिकायतों की समीक्षा करते हुए उन स्थानों पर तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए जहां से बार-बार शिकायतें आ रही हैं। साथ ही उन्होंने उपभोक्ता सेवा केंद्रों को और अधिक सशक्त बनाने और वहां प्रशिक्षित कर्मियों की तैनाती सुनिश्चित करने को भी कहा।

ऊर्जा मंत्री के इस स्पष्ट रुख से यह साफ हो गया है कि प्रदेश सरकार बिजली व्यवस्था में सुधार को लेकर पूरी तरह गंभीर है और उपभोक्ताओं की संतुष्टि उसकी प्राथमिकता है। मंत्री के निर्देशों के बाद अब देखने वाली बात यह होगी कि जमीनी स्तर पर इन नीतियों का क्रियान्वयन कितनी प्रभावशीलता से होता है।