सावन के पहले सोमवार पर राजधानी में शिवभक्ति का सैलाब, मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
सावन मास के पहले सोमवार को राजधानी के प्रमुख शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से ही जलाभिषेक, पूजन-अर्चन और रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक अनुष्ठानों के लिए श्रद्धालु मंदिरों की ओर रुख करते नजर आए। पूरा वातावरण ‘बोल बम’ और ‘हर हर महादेव’ के जयघोषों से गूंज उठा।
राजधानी के मनकामेश्वर मंदिर, बुद्धेश्वर मंदिर, और राजेन्द्र नगर स्थित महाकाल मंदिर में रविवार रात 12 बजे के बाद से ही श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था। लोगों ने व्रत रखकर भगवान शिव का जल, दूध, बेलपत्र, भस्म और पुष्प अर्पित कर पूजा-अर्चना की।
इस पावन अवसर पर मंदिरों को रंग-बिरंगी लाइटों, फूलों और धार्मिक सजावट से भव्य रूप दिया गया था। मंदिरों के गर्भगृह में भगवान भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार किया गया, जिसमें चंदन, फूलों की मालाएं, रुद्राक्ष और वस्त्रों का प्रयोग किया गया। दर्शन के लिए श्रद्धालु लंबी कतारों में खड़े रहे और पूरे संयम और श्रद्धा के साथ पूजा में भाग लिया।
सावन के पहले सोमवार को रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय जाप, और भजन-कीर्तन जैसे धार्मिक आयोजन भी किए गए। कई स्थानों पर सामूहिक पाठ और कांवड़ सेवा शिविर भी लगाए गए, जहाँ से आए कांवड़ियों को जलपान और विश्राम की सुविधा दी गई।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के विशेष इंतजाम किए थे। पुलिस बल, स्वयंसेवक और चिकित्सा टीमें मंदिर परिसरों में मुस्तैद रहीं। सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे ताकि व्यवस्था पर निगरानी रखी जा सके।
मंदिरों के आसपास यातायात व्यवस्था में बदलाव किया गया था और बैरिकेडिंग के जरिए श्रद्धालुओं की आवाजाही को सुचारु रूप से संचालित किया गया।
श्रद्धालुओं का मानना है कि सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव की आराधना से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कई भक्तों ने बताया कि वे वर्षों से इस दिन व्रत रखकर बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करते आ रहे हैं।
शहर के अन्य मंदिरों में भी इसी तरह का उत्साह देखा गया। लोगों ने परिवार सहित मंदिर पहुंचकर भगवान शिव की पूजा की और सुख-समृद्धि की कामना की।
सावन के पहले सोमवार पर राजधानी में आस्था, भक्ति और धार्मिक उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिला। माना जा रहा है कि आने वाले चार सोमवारों तक यह शिवभक्ति की परंपरा और श्रद्धा का प्रवाह इसी तरह जारी रहेगा।