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प्राथमिक स्कूलों के विलय मामले में सरकार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, याचिकाएं खारिज

 

उत्तर प्रदेश में प्राथमिक विद्यालयों के विलय (पेयरिंग) को लेकर जारी विवाद के बीच राज्य सरकार को सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज करते हुए सरकार के निर्णय को सही ठहराया।

इन याचिकाओं में राज्य सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत कम नामांकन वाले परिषदीय विद्यालयों को आपस में मिलाकर पेयर किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह निर्णय न केवल बच्चों के शिक्षा के अधिकार का हनन है, बल्कि इससे शिक्षकों और छात्रों को व्यवहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

हालांकि, कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई के बाद कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुधार और संसाधनों के बेहतर उपयोग के उद्देश्य से लिया गया निर्णय अनुचित नहीं कहा जा सकता। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह सरकार की नीतिगत व्यवस्था का हिस्सा है और इसमें हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं बनता।

राज्य सरकार का पक्ष

राज्य सरकार की ओर से प्रस्तुत की गई दलीलों में कहा गया कि यह निर्णय शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, संसाधनों के समुचित उपयोग और शिक्षकों की उचित तैनाती सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। सरकार ने तर्क दिया कि जिन विद्यालयों में छात्र संख्या अत्यधिक कम है, वहां शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा था, इसलिए ऐसे विद्यालयों का आपस में विलय जरूरी हो गया था।

याचिकाएं खारिज होने के बाद शिक्षकों में मिली-जुली प्रतिक्रिया

हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षक संगठनों में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कुछ शिक्षक नेताओं ने इसे शिक्षा के भविष्य के लिए आवश्यक कदम बताया, जबकि कुछ ने इसे ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए अव्यवहारिक बताया। शिक्षक संगठनों ने कहा है कि वे अब इस मसले पर कानूनी सलाह लेने के बाद ही आगे की रणनीति तय करेंगे।

‘आप’ ने जताई नाराजगी

वहीं आम आदमी पार्टी (आप) ने इस मामले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार गरीब तबके के बच्चों को शिक्षा से दूर करने का प्रयास कर रही है। पार्टी ने पहले ही इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही थी। कोर्ट के इस फैसले के बाद पार्टी की अगली रणनीति पर नजरें टिकी हैं।