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पाकिस्तानी वीडियो वायरल कर माहौल बिगाड़ने की साजिश, तीन और आरोपी गिरफ्तार

 

उत्तर प्रदेश पुलिस ने सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने और दंगा भड़काने की साजिश रचने के आरोप में शनिवार को तीन और लोगों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान की एक भड़काऊ वीडियो को जानबूझकर व्हाट्सएप ग्रुपों में वायरल किया, जिससे इलाके में तनाव का माहौल पैदा हो सके।

पुलिस के अनुसार, यह मामला एक गहरी साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत में समुदायों के बीच नफरत फैलाना और अस्थिरता पैदा करना है। पहले से ही इस मामले में कुछ आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, और अब तीन और लोगों की गिरफ्तारी के साथ पुलिस की जांच और तेज हो गई है।

व्हाट्सएप ग्रुपों पर नजर

पुलिस लगातार उन व्हाट्सएप ग्रुपों की जांच कर रही है जिनमें यह आपत्तिजनक वीडियो साझा की गई थी। इन ग्रुपों की गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है और सदस्यों की पहचान भी की जा रही है। फॉरेंसिक टीमों को लगाया गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि वीडियो को सबसे पहले किसने साझा किया और यह किस स्रोत से आया।

सांप्रदायिक शांति बिगाड़ने की कोशिश

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वीडियो की प्रकृति बेहद भड़काऊ है और यह स्पष्ट रूप से समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की नीयत से फैलाया गया था। अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों ने वीडियो को एडिट करके और उसमें भ्रामक संदेश जोड़कर उसे अधिक उकसाने वाला बनाया, जिससे माहौल और अधिक संवेदनशील हो सके।

आईटी एक्ट और देशद्रोह की धाराओं में मामला दर्ज

पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट, भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं, और देशद्रोह के तहत मामला दर्ज किया है। अधिकारियों का कहना है कि जांच के आधार पर और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। इसके अलावा, जो लोग व्हाट्सएप ग्रुपों के एडमिन हैं, उन्हें भी पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है।

पुलिस की सख्त चेतावनी

पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि इस प्रकार की अफवाहें फैलाना और सांप्रदायिक भावनाएं भड़काना गंभीर अपराध है। ऐसे मामलों में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी भड़काऊ या संदिग्ध सामग्री को साझा करने से पहले उसकी सत्यता की जांच करें और किसी भी आपत्तिजनक कंटेंट की सूचना तत्काल पुलिस को दें।

निगरानी और चौकसी बढ़ाई गई

घटना के बाद से संबंधित इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस की साइबर टीमों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी निगरानी की जा रही है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करके किस तरह सांप्रदायिक सौहार्द को खतरे में डाला जा सकता है। प्रशासन की तत्परता और तकनीकी निगरानी ने इस साजिश को समय रहते उजागर कर दिया है, लेकिन यह जनता के लिए भी एक चेतावनी है कि वे किसी भी अफवाह या उकसावे में आकर माहौल बिगाड़ने में सहभागी न बनें।

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