साइबर अपराध के खिलाफ कमिश्नरेट पुलिस का बड़ा अभियान, ‘ऑपरेशन कोड ब्रेक’ की शुरुआत
साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस ने एक विशेष अभियान ‘ऑपरेशन कोड ब्रेक’ शुरू किया है। इस अभियान के तहत प्रतिबिंब पोर्टल की मदद से 250 संदिग्ध साइबर अपराधियों की पहचान की गई है, जो देश के विभिन्न राज्यों में साइबर ठगी की घटनाओं में शामिल पाए गए हैं। पुलिस अब इन सभी पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी में है।
प्रतिबिंब पोर्टल से हुई पहचान
कमिश्नरेट पुलिस द्वारा चलाए जा रहे इस विशेष अभियान में गृह मंत्रालय के प्रतिबिंब पोर्टल की मदद से साइबर अपराधियों को चिह्नित किया गया है। यह पोर्टल देशभर में साइबर फ्रॉड से संबंधित डाटा और आरोपियों की गतिविधियों को ट्रैक करता है। लखनऊ में 250 ऐसे लोगों को चिह्नित किया गया है जिनके खाते, मोबाइल नंबर या अन्य डिजिटल गतिविधियां विभिन्न प्रकार की ठगी से जुड़ी रही हैं।
चार केस पहले ही दर्ज
अभियान की शुरुआत के साथ ही पुलिस ने चार मामलों में केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। इनमें से कुछ आरोपी ऐसे हैं जो ऑनलाइन फर्जीवाड़ा, फिशिंग लिंक, ओटीपी हैकिंग, और फेक कस्टमर केयर के जरिए लोगों से लाखों रुपये ठग चुके हैं। जांच के दौरान इनके बैंक खातों और डिजिटल ट्रांजेक्शन की भी जांच की जा रही है।
जल्द होंगे और केस दर्ज
कमिश्नरेट पुलिस ने संकेत दिए हैं कि इन 250 लोगों में से कई के खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटा लिए गए हैं और उनके खिलाफ जल्दी ही केस दर्ज कर गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए विभिन्न राज्यों की साइबर सेल और संबंधित एजेंसियों से संपर्क किया जा रहा है।
आम जनता से अपील
पुलिस ने लोगों से भी सतर्क रहने और जागरूक रहने की अपील की है। यदि कोई संदिग्ध कॉल, मैसेज या लिंक प्राप्त हो तो तुरंत 1930 या साइबर हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत करें। साथ ही, किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें और अपने बैंक विवरण किसी से साझा न करें।
पुलिस आयुक्त का बयान
पुलिस आयुक्त ने बताया कि ऑपरेशन कोड ब्रेक का उद्देश्य न केवल साइबर अपराधियों को पकड़ना है, बल्कि आम जनता में साइबर सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलाना भी है। यह एक लंबा अभियान होगा जो चरणबद्ध तरीके से चलेगा और अन्य जिलों में भी इसी मॉडल को लागू करने की योजना है।