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फरीदपुर में महिला से दुष्कर्म प्रयास के मामले में आरोपी भाजयुमो नेता प्रदीप यादव छह साल के लिए भाजपा से निष्कासित

 

महिला को अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म की कोशिश के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के नगर अध्यक्ष प्रदीप यादव को पार्टी ने कड़ा दंड देते हुए छह वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई मामले को लेकर बढ़ते जन आक्रोश और सोशल मीडिया पर फैलते दबाव के बीच की गई है।

भाजपा के आंवला जिलाध्यक्ष आदेश प्रताप सिंह ने प्रदीप यादव को पार्टी से निष्कासित किए जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि पार्टी अनुशासन और नारी सम्मान के मामले में किसी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करती। इससे पहले, आरोपी नेता को भाजयुमो के नगर अध्यक्ष पद से हटाया जा चुका था।

यह पूरा मामला फरीदपुर क्षेत्र का है, जहां प्रदीप यादव पर एक महिला को अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म की कोशिश करने का आरोप लगा है। पीड़िता द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर स्थानीय पुलिस ने मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी है। घटना के सामने आने के बाद से ही क्षेत्र में आक्रोश व्याप्त है, वहीं राजनीतिक गलियारों में भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा तेज हो गई थी।

इस बीच, भाजयुमो के जिलाध्यक्ष राजू उपाध्याय द्वारा प्रदीप यादव के निष्कासन का पत्र भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें स्पष्ट रूप से पार्टी की ओर से आरोपी को सभी पदों से हटाने और पार्टी से निष्कासित करने की जानकारी दी गई है। वायरल पत्र ने पूरे घटनाक्रम को और अधिक उजागर कर दिया है, जिससे पार्टी पर भी दबाव बढ़ा कि वह सख्त कदम उठाए।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा की स्थानीय और जिला इकाई ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल रिपोर्ट हाई कमान को भेजी थी, जिसके बाद निष्कासन का निर्णय लिया गया। यह निर्णय पार्टी की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत लिया गया है।

पुलिस के अनुसार, मामले की जांच जारी है और जल्द ही चार्जशीट तैयार कर अदालत में पेश की जाएगी। पीड़िता का बयान दर्ज कर लिया गया है, और आरोपी की भूमिका की गहन जांच की जा रही है। अगर आरोप सिद्ध होते हैं, तो आरोपी के खिलाफ कठोर धाराओं में अभियोग चलेगा।

भाजपा की इस कार्रवाई को समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा मिश्रित प्रतिक्रिया मिली है। जहां कुछ लोग इसे "पार्टी की सही दिशा में पहल" मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे "देर से जागी चेतना" कहकर आलोचना कर रहे हैं। फिलहाल, प्रदीप यादव का राजनीतिक भविष्य अधर में लटका हुआ है और कानून अपना काम कर रहा है। अब देखना यह होगा कि इस संवेदनशील मामले में न्याय कितनी तेजी से आगे बढ़ता है।