यूपी में अवैध धर्मांतरण की फंडिंग का बड़ा खुलासा, तार जाकिर नाईक से जुड़ने की आशंका, ईडी करेगी जांच
उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मांतरण से जुड़े मामलों में एक बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। जांच एजेंसियों को शक है कि इन मामलों में विदेशों से फंडिंग के पीछे भगोड़े इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाईक के नेटवर्क का हाथ हो सकता है। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जल्द ही इस पूरे नेटवर्क की विस्तृत जांच शुरू करने की तैयारी में है।
फंडिंग के तार विदेश से जुड़े
जांच एजेंसियों के मुताबिक, हाल के महीनों में यूपी में सामने आए कई अवैध धर्मांतरण मामलों में यह देखा गया कि इन गतिविधियों के पीछे विदेशों से बड़ी मात्रा में फंडिंग की जा रही है। शुरुआती जांच में यह संकेत मिला है कि यह फंडिंग गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और चैरिटेबल ट्रस्ट्स के जरिए की जा रही है, जिनका संबंध जाकिर नाईक के संगठन या समर्थकों से हो सकता है।
जाकिर नाईक की भूमिका संदिग्ध
जाकिर नाईक पर पहले से ही मनी लॉन्ड्रिंग, सांप्रदायिक भड़काव और आतंकियों को उकसाने जैसे कई गंभीर आरोप हैं। 2016 से वह भारत से फरार है और वर्तमान में मलेशिया में शरण लिए हुए है। सूत्रों के अनुसार, ईडी को शक है कि नाईक के नेटवर्क से जुड़े कुछ लोग भारत के विभिन्न राज्यों, खासकर उत्तर प्रदेश में गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को लालच देकर धर्मांतरण के लिए उकसा रहे हैं।
ईडी की जांच में क्या होगा फोकस?
ईडी की संभावित जांच में निम्न बिंदुओं पर खास ध्यान दिया जाएगा:
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अवैध धर्मांतरण से जुड़े संगठनों के बैंक खातों की जांच
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विदेश से आए फंड का स्रोत और ट्रांजेक्शन ट्रेल
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फंड प्राप्त करने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं की भूमिका
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जाकिर नाईक या उसके सहयोगियों से लिंक की पुष्टि
ईडी सूत्रों के अनुसार, फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA) और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच को बढ़ाया जा सकता है।
राज्य सरकार और केंद्र की सतर्कता
उत्तर प्रदेश सरकार पहले से ही अवैध धर्मांतरण के खिलाफ सख्त रवैया अपनाए हुए है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कई बार सार्वजनिक मंचों से इस तरह की गतिविधियों को “धार्मिक छलावा” और “सांस्कृतिक आक्रमण” बताया है। अब जब फंडिंग के तार विदेशों से जुड़ने लगे हैं, तो केंद्र सरकार भी इस मामले में गहरी दिलचस्पी ले रही है।
संभावित गिरफ्तारियां और पूछताछ
अगर ईडी की जांच में स्पष्ट सबूत मिलते हैं, तो आने वाले दिनों में कई संगठनों और व्यक्तियों पर शिकंजा कस सकता है। इसके अलावा कुछ NGOs की मान्यता रद्द करने और उनके खातों को फ्रीज़ करने की कार्रवाई भी हो सकती है।