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बीएचयू ने दलाई लामा को 69 साल बाद सौंपी डि.लिट की दूसरी प्रति, धर्मशाला संग्रहालय में होगी संरक्षित

 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने बौद्ध धर्मगुरु परमपावन दलाई लामा को 69 वर्ष पूर्व प्रदान की गई डॉक्टर ऑफ लेटर्स (डि.लिट) की डिग्री की दूसरी प्रमाणिक प्रति उन्हें फिर से प्रदान की है। यह ऐतिहासिक क्षण रविवार को उनके 90वें जन्मदिन के अवसर पर संपन्न हुआ, जो दलाई लामा के प्रति सम्मान और बीएचयू की शैक्षणिक परंपरा का प्रतीक माना जा रहा है।

इस विशेष अवसर पर बीएचयू के कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार और संयुक्त कुलसचिव ने संयुक्त रूप से डिग्री की दूसरी प्रति तिब्बती संस्थान के कुलपति को औपचारिक रूप से सौंपी। अब यह डिग्री हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित संग्रहालय में संरक्षित की जाएगी, जहां दलाई लामा का आध्यात्मिक केंद्र स्थित है।

69 वर्ष पुरानी डिग्री हुई थी लुप्त

बीएचयू ने वर्ष 1956 में दलाई लामा को उनकी शांति, करुणा और वैश्विक बौद्ध संदेश को बढ़ावा देने के लिए डि.लिट की मानद उपाधि प्रदान की थी। लेकिन समय के साथ मूल डिग्री गुम हो गई थी। इसके बाद तिब्बती प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय से इसकी दूसरी प्रति की मांग की गई, जिस पर बीएचयू ने सहमति जताते हुए डिग्री को पुनः तैयार किया।

सम्मान और सांस्कृतिक धरोहर की पुनर्स्थापना

इस कार्यक्रम को बीएचयू प्रशासन और तिब्बती समुदाय दोनों ने अत्यंत सम्मान और भावनात्मक जुड़ाव के रूप में देखा। बीएचयू के कार्यवाहक कुलपति प्रो. संजय कुमार ने कहा:

“दलाई लामा न केवल तिब्बती समाज के आध्यात्मिक गुरु हैं, बल्कि विश्व भर में शांति और करुणा के संदेशवाहक हैं। उनके सम्मान में यह डिग्री फिर से प्रदान करना बीएचयू के लिए गर्व का विषय है।”

तिब्बती संस्थान के कुलपति ने भी इस अवसर पर विश्वविद्यालय का आभार जताते हुए कहा कि यह डिग्री न केवल दलाई लामा की स्मृतियों को पुनर्जीवित करती है, बल्कि भारत-तिब्बत सांस्कृतिक संबंधों को भी मजबूत करती है।

संग्रहालय में होगी ऐतिहासिक प्रदर्शनी का हिस्सा

अब यह डिग्री धर्मशाला के संग्रहालय में विशेष प्रदर्शनी के रूप में रखी जाएगी, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इस ऐतिहासिक क्षण और भारत-तिब्बत के आध्यात्मिक संबंधों को समझ सकें।