बरेली भाजयुमो ने फरीदपुर नगर अध्यक्ष प्रदीप यादव को पद से हटाया, पार्टी से निष्कासन की भी तैयारी
भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) ने फरीदपुर नगर अध्यक्ष प्रदीप यादव को बड़ी कार्रवाई करते हुए पद से हटा दिया है। यह फैसला उस विवाद के बाद लिया गया जिसमें प्रदीप यादव के खिलाफ एक माह पूर्व गंभीर आरोपों के साथ पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसके अलावा उनकी विवादित बातचीत के ऑडियो क्लिप भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं, जिससे पार्टी की छवि को ठेस पहुंची।
भाजयुमो के पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि पार्टी के अनुशासन के खिलाफ काम करने वालों के लिए संगठन में कोई जगह नहीं है। प्रदीप यादव को अध्यक्ष पद से हटाने के साथ-साथ अब पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी निष्कासित किए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
क्या है पूरा मामला?
करीब एक माह पहले प्रदीप यादव पर एक स्थानीय व्यक्ति ने धमकी, अभद्रता और अवैध दबाव बनाने का आरोप लगाते हुए पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इसी मामले से जुड़ा एक ऑडियो वायरल हुआ, जिसमें प्रदीप यादव की कथित रूप से धमकी भरी और अपमानजनक भाषा सुनाई दी। ऑडियो के वायरल होते ही मामला सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में तूल पकड़ने लगा।
पार्टी ने की अनुशासनात्मक कार्रवाई
भाजयुमो के जिला और प्रदेश नेतृत्व ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की। प्रारंभिक रिपोर्ट में आरोपों को सही पाए जाने के बाद प्रदीप यादव को फरीदपुर नगर अध्यक्ष पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, जल्द ही प्रदीप यादव को पार्टी की सदस्यता से भी निष्कासित किया जा सकता है, ताकि संगठन की साख और अनुशासन बना रहे।
भाजयुमो ने दिया स्पष्ट संदेश
भाजयुमो पदाधिकारियों ने कहा कि पार्टी में अनुशासन सर्वोपरि है। यदि कोई पदाधिकारी सार्वजनिक मर्यादा का उल्लंघन करता है या पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो।
विपक्ष ने साधा निशाना
इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने भी बीजेपी पर निशाना साधा है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने सवाल उठाए हैं कि ऐसे लोगों को पद कैसे दिए जाते हैं और कार्रवाई में इतना वक्त क्यों लगता है।
स्थानीय स्तर पर हलचल
फरीदपुर नगर में भाजयुमो की इस कार्रवाई को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। कुछ लोग इसे छवि सुधारने की कोशिश मान रहे हैं, तो कुछ का मानना है कि यह कार्रवाई दबाव में आकर देर से की गई।