नेपाल सीमा से सटा बलरामपुर जिला टेरर फंडिंग के नेटवर्क में फंसा, 50 करोड़ रुपये के लेनदेन का खुलासा
उत्तर प्रदेश के नेपाल सीमा से सटे बलरामपुर जिले में टेरर फंडिंग का बड़ा नेटवर्क सामने आया है। पहले अवैध धर्मांतरण के मामलों से चर्चा में रहा यह संवेदनशील जिला अब आतंकियों की आर्थिक मदद के लिए इस्तेमाल हो रहा है। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह खुलासा गंभीर चिंता का विषय बन गया है। पुलिस की कार्रवाई में चार युवकों को हिरासत में लिया गया है, जिनसे पूछताछ में अहम जानकारियां सामने आई हैं। शुरुआती जांच में पता चला है कि साइबर फ्रॉड में शामिल ये स्थानीय युवक फर्जी बैंक खातों में पैसे जमा करवा रहे थे, जिन्हें बाद में सीधे पाकिस्तान भेजा जा रहा था। यह पूरा मामला टेरर फंडिंग से जुड़ा हुआ है, जिससे भारत की आंतरिक सुरक्षा पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान अब तक 100 से अधिक बैंक खातों की जानकारी मिली है, जिनमें करीब 50 करोड़ रुपये का संदिग्ध लेनदेन किया गया है। इन खातों के माध्यम से अवैध रूप से धन इकट्ठा कर पाकिस्तान स्थित संदिग्ध नेटवर्क तक पहुंचाया गया है। इस तरह की फंडिंग का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने और देशविरोधी गतिविधियों को प्रोत्साहन देने में किया जा सकता है।बलरामपुर के पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह मामला केवल जिले तक सीमित नहीं है। पूछताछ में जो नेटवर्क सामने आया है, उसके तार रायबरेली साइबर फ्रॉड मामले से भी जुड़ते नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि रायबरेली में पहले ही करीब 700 करोड़ रुपये की टेरर फंडिंग की बात सामने आ चुकी है, जिस पर एजेंसियां पहले से ही जांच कर रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सीमावर्ती इलाकों में डिजिटल लेनदेन और फर्जी खातों का उपयोग कर बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंक फंडिंग की जा रही है। इन गतिविधियों में युवाओं को लालच देकर शामिल किया जाता है, जिन्हें शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं होता कि उनके जरिए देश की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है।पुलिस अब गिरफ्तार किए गए युवकों के मोबाइल डेटा, बैंक स्टेटमेंट और सोशल मीडिया अकाउंट्स की गहन जांच कर रही है। इसके साथ ही उनके संपर्क में आने वाले अन्य लोगों की भी पहचान की जा रही है। अनुमान है कि यह नेटवर्क उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी सक्रिय हो सकता है।
जिला प्रशासन और राज्य सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय एजेंसियों की मदद से जांच का दायरा बढ़ाने का निर्णय लिया है। जल्द ही इस रैकेट के मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा।यह खुलासा एक बार फिर साबित करता है कि सीमावर्ती जिलों में सतर्कता और निगरानी की बेहद आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन को तकनीकी मदद से ऐसे नेटवर्क का समय रहते भंडाफोड़ करना होगा, ताकि देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत बनाया जा सके।