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बदायूं में खाकी पर गंभीर आरोप, पीड़ित ने 12 पुलिसकर्मियों पर किया मामला दर्ज

 

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में पुलिस पर गंभीर आरोप लगने से हड़कंप मच गया है। पीड़ित ग्रामीण ने बिल्सी थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर, 4 सब इंस्पेक्टर समेत कुल 12 पुलिसकर्मियों पर मारपीट, झूठा मुकदमा दर्ज करने और जेल भेजने का आरोप लगाया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब यह चर्चा का विषय बन गया है।

जानकारी के मुताबिक, पीड़ित ग्रामीण का कहना है कि वह किसी शिकायत को लेकर बिल्सी थाने पहुंचा था। लेकिन, उसकी बात सुनने के बजाय वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे ही अपराधी बना दिया। आरोप है कि उसे थाने की हवालात में डाल दिया गया और पट्टे से बेरहमी से पीटा गया। यही नहीं, पुलिस ने उसके खिलाफ तमंचा और कारतूस बरामद दिखाते हुए फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया।

पीड़ित ने बताया कि वह एक सामान्य ग्रामीण है और किसी आपराधिक गतिविधि से उसका कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन थाने में मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे बेवजह प्रताड़ित किया। उसका दावा है कि यह पूरा घटनाक्रम उसकी शिकायत को दबाने और उसे डराने-धमकाने के लिए किया गया।

पीड़ित ने इस मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर, 4 सब इंस्पेक्टर और 7 अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कराया है। एफआईआर में मारपीट, फर्जी सबूत तैयार करने, धमकी देने और गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखने जैसे आरोप शामिल हैं।

इस मामले में पुलिस विभाग की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन, सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने आरोपों की जांच के आदेश दे दिए हैं। अगर जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई के साथ-साथ कानूनी कार्यवाही भी की जा सकती है।

स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर नाराजगी है। कई ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस का काम जनता की सुरक्षा और मदद करना है, लेकिन इस तरह की घटनाएं लोगों का भरोसा तोड़ देती हैं। वहीं, पीड़ित ग्रामीण न्याय की मांग कर रहा है और चाहता है कि दोषी पुलिसकर्मियों को कड़ी सजा दी जाए।

बदायूं में खाकी पर इस तरह के गंभीर आरोप पहली बार नहीं लगे हैं। इससे पहले भी जिले में पुलिस पर फर्जी मुकदमे दर्ज करने और दबंगई दिखाने के आरोप लगते रहे हैं। यह घटना एक बार फिर से पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करती है और इस बात की जरूरत बताती है कि ऐसी शिकायतों पर निष्पक्ष जांच हो, ताकि निर्दोष लोगों को न्याय मिल सके और पुलिस की छवि पर लगे दाग को साफ किया जा सके।