विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव की 'सद्भाव राजनीति', बीजेपी ने लगाया धार्मिक स्थल के दुरुपयोग का आरोप
उत्तर प्रदेश में आगामी 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियों ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। इसी कड़ी में समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों 'सद्भाव की राजनीति' को नए अंदाज़ में आगे बढ़ा रहे हैं। एक ओर पार्टी की युवा सांसद इकरा हसन सहारनपुर में कांवड़ियों के शिविरों में पहुंचकर सेवा भाव दिखा रही हैं, तो दूसरी ओर खुद अखिलेश यादव दिल्ली स्थित संसद मार्ग की एक मस्जिद में नज़र आए।
मस्जिद में अखिलेश की 'राजनीतिक बैठक'
बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव संसद मार्ग की इस मस्जिद में नमाज अदा करने के साथ-साथ एक राजनीतिक बैठक भी कर रहे थे। इस कदम को सपा खेमे ने 'धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सौहार्द' की मिसाल बताया है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, यह एक सांकेतिक संदेश है कि समाजवादी पार्टी हर धर्म और समुदाय के साथ खड़ी है और सभी को बराबरी का सम्मान देना चाहती है।
बीजेपी का पलटवार: "धार्मिक स्थल का दुरुपयोग"
हालांकि, समाजवादी पार्टी की यह ‘धार्मिक सद्भावना’ वाली रणनीति सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को रास नहीं आई। बीजेपी नेताओं ने अखिलेश यादव पर धार्मिक स्थल का राजनीतिक उपयोग करने का गंभीर आरोप लगाया है। भाजपा ने कहा कि यह कदम संविधान और चुनाव संहिता के खिलाफ है, क्योंकि धर्मस्थल किसी भी प्रकार की राजनीतिक गतिविधि के लिए इस्तेमाल नहीं किए जा सकते।
बीजेपी प्रवक्ताओं ने यह भी तंज कसा कि जब चुनाव करीब आते हैं, तब ही समाजवादी पार्टी को "धर्मनिरपेक्षता" और "सद्भाव" की याद आती है। पार्टी ने चुनाव आयोग से इस पूरे मामले का संज्ञान लेने की मांग की है।
सपा का बचाव: "हम तो सभी धर्मों का सम्मान करते हैं"
वहीं, समाजवादी पार्टी ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अखिलेश यादव ने किसी धर्मस्थल का दुरुपयोग नहीं किया, बल्कि उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की भावना से मस्जिद में हाजिरी दी। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि बीजेपी खुद धार्मिक आयोजनों में राजनीतिक भाषण देती है, इसलिए उसे दूसरों पर उंगली उठाने का नैतिक अधिकार नहीं।
सियासी मायने
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2027 के चुनाव से पहले अखिलेश यादव की यह रणनीति समाज के सभी वर्गों को जोड़ने का प्रयास है। सहारनपुर में मुस्लिम महिला सांसद का कांवड़ियों से मेल-मुलाकात करना और दिल्ली में मस्जिद में हाजिरी जैसे कदमों का उद्देश्य भाजपा के धर्म आधारित वोटबैंक की काट ढूंढना हो सकता है।