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AGRA  खौल रहा सरसों का तेल, आम आदमी की झुलस रही है जेब, दूसरे तेलों के दाम भी चढ़े

 
उत्तर प्रदेश न्यूज़ डेस्क !!! खेल इन दोनों स्थानों के साथ-साथ जिले में एक दर्जन स्थानों पर और चल रहा है। ऐसे ही खेल सरसों के तेल में हैं। सरसों खरीदने का क्रय केंद्र नहीं है। किरावली में सरसों की लैब में जांच होती है। तेल के आधार पर उस सरसों के दाम निर्धारित होते हैं।बताया जा रहा है कि,मंडी के कारोबार‍ियों के अनुसार मंगलवार को मंडियों में 9,900 से लेकर 10,000 रुपये कुंतल के हिसाब से सरसों की फसल बिक रही है। इस पर छह प्रतिशत जीएसटी और एक प्रतिशत मंडी शुल्क अलग से लगता है। अगर एक कुंतल सरसों की फसल का तेल निकाला जाए तो 33 किलो तेल निकलता है। दो किलो खल जल जाती है। ऐसे में 65 किलो खल बचती है। थोक के रेट में 185 रुपये किलो तेल बिक रहा है। इस हिसाब से 33 किलो तेल की कीमत 6,105 रुपये बनती है। इसके आगे  बताया जा रहा है कि,65 किलो खल 30 रुपये किलो के हिसाब से 1,950 रुपये का बिक रहा है। पेराई 250 रुपये कुंतल है, जबकि लोडिग- अनलोडिग में पांच रुपये किलो का चार्ज लग जाता है। ट्रांसपोर्ट का खर्च अलग से है। यही वजह है कि बाजार में सरसों का तेल महंगा बिक रहा है।

सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि,आवास व‍िकास पर‍िषद द्वारा व‍िकस‍ित पाश कालोनी कमला नगर में रहने वाली रुच‍ि गोयल को इन दिनों डेंगू वायरस के अलावा महंगाई भी डरा रही है। महीने के राशन का बिल बिना सामान बढ़ाए भी बढ़ा जा रहा है। एक लीटर सरसों तेल की कीमत 205 रुपए लीटर तक पहुंच गई, जो जून 2021 के 50 रुपये ज्यादा है। आवास व‍िकास कालोनी न‍िवासी ऋचा वार्ष्‍णेय भी तनाव में हैं। पार‍िवार‍िक कारणों से नहीं बल्कि लगातार घरेलू चीजों के दाम में बढ़ोतरी को लेकर। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि,कहती हैं क‍ि कोराेना वायरस की रफ्तार ज‍िस तरह थमी है, उसी रफ्तार से सरसों के तेल के दाम मे बढोत्‍तरी हो रही है।

खबरों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि,आयल मिल के प्रबंध निदेशक कुमार कृष्ण गोपाल, कारोबारी ब्रजमोहन अग्रवाल व दिनेश गोयल के अनुसार 16 जून को सरसों के तेल के दाम र‍िटेल में 155 रुपये प्रति लीटर रहे, लेक‍िन हर स्तर पर खलबली मचाकर रखने वाले मौजूदा समय के कड़ाह में सरसों ही नहीं, खाद्य तेल का पूरा बाजार ही खौल रहा है। वनस्पति, सोया तेल, सूरजमुखी, मूंगफली सभी के भाव चढ़े हैं। खाद्य तेलों में यह तेजी ठीक उस समय देखने को मिली है, जब आगरा समेत पूरे देश में एक के बाद एक सामान्य मानसून, तिलहन की रिकार्ड पैदावार और कोरोना वायरस के कारण मांग में नरमी है। यानी कीमतों में इजाफे का कोई भी कारण घरेलू नहीं, महंगाई अंतरराष्ट्रीय है। जमाखोरी भी बडा कारण है। कारोबार‍ियों की मानें तो सरसों के तेल उत्पादन में आगरा देश में अग्रणी है।

आगरा में 66 हजार हेक्टेयर में सरसों का उत्पादन होता है पर मांग अधिक होने के कारण यहां की प्रमुख मंडी खेरागढ़ व किरावली मंडी में हरियाणा व राजस्थान से बड़ी मात्रा में सरसों की आवक होती है। रोज करीब 500 टन सरसों का तेल उत्पादन करने वाली आगरा आयल मिल, बीपी आयल मिल, शारदा आयल मिल व महेश आयल मिल सीधे हरियाणा व राजस्थान मंडी से सरसों क्रय करते हैं। जनपद में छह और आयल मिल के अलावा 200 से अधिक एक्सपेलर हैं, जिनके द्वारा रोज करीब 100 टन तेल का उत्पादन किया जाता है। खेरागढ़ मंडी व किरावली मंडी में रोज करीब दो हजार कुंतल सरसों की आवक होती है।कारोबार से जुड़े लोगों के अनुसार तो खेरागढ़ मंडी व किरावली मंडी के आसपास ही बड़ी मात्रा में सरसों की जमाखोरी की गई है।