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बारूदी सुरंग में शहीद हुआ अग्निवीर ललित कुमार, पस्तरा गांव में पसरा मातम

 

जम्मू-कश्मीर में बारूदी सुरंग में हुए भीषण धमाके में शहीद हुए पस्तरा गांव के अग्निवीर सैनिक ललित कुमार की शहादत ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया है। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, तो गांव में मातम का माहौल है। ललित ने महज डेढ़ साल पहले ही भारतीय सेना में अग्निवीर पद पर भर्ती होकर देश सेवा की राह पकड़ी थी। लेकिन अब उसका पार्थिव शरीर आने की खबर ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया है।

सबसे छोटा था, लेकिन कंधों पर थी सबसे बड़ी जिम्मेदारी

गांव वालों और परिजनों के अनुसार, ललित कुमार अपने माता-पिता का सबसे छोटा बेटा था, लेकिन पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी ने उठा रखी थी। परिवार की आर्थिक स्थिति बेहतर नहीं थी, इसलिए ललित ने युवावस्था में ही घर की बागडोर संभाल ली थी। उसका सपना था कि अपने भाइयों और बहनों को पढ़ा-लिखाकर उन्हें एक बेहतर जीवन दे सके। इसके बाद वह भाइयों की शादी कराना चाहता था। लेकिन एक विस्फोट ने न सिर्फ उसकी जिंदगी छीनी, बल्कि उसके पूरे परिवार के सपनों को भी तोड़ दिया।

गांव में पसरा सन्नाटा, हर आंख नम

ललित की शहादत की खबर जैसे ही गांव पस्तरा पहुंची, वहां कोहराम मच गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। मां बार-बार बेसुध हो जा रही हैं, तो पिता की आंखें बेटे की तस्वीर से हट ही नहीं रहीं। गांव के लोग ढांढस बंधाने पहुंच रहे हैं, लेकिन किसी के पास भी ऐसा कोई शब्द नहीं जो इस पीड़ा को कम कर सके। ग्रामीणों ने बताया कि ललित शुरू से ही मेहनती और जिम्मेदार स्वभाव का था। देश सेवा के जज्बे के साथ उसने अग्निवीर योजना में भर्ती होकर परिवार और गांव का नाम रोशन किया था।

पार्थिव शरीर के इंतजार में गांव

गांव में अब बस एक ही इंतजार है — ललित के पार्थिव शरीर के आने का। स्थानीय प्रशासन ने बताया कि सेना की ओर से शहीद जवान के पार्थिव शरीर को गांव तक पहुंचाने की तैयारियां की जा रही हैं। जैसे ही शव गांव पहुंचेगा, पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। अंतिम विदाई में बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की उम्मीद है।

सत्ता और प्रशासन से सहयोग की मांग

ग्रामीणों और परिवार वालों ने सरकार से मांग की है कि शहीद ललित कुमार के परिवार को समुचित सहायता दी जाए। ललित के बलिदान को सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि उसके परिवार के पुनर्निर्माण के रूप में भी सम्मान मिलना चाहिए।

नमन है ऐसे सपूत को

ललित की शहादत ने एक बार फिर यह याद दिला दिया है कि देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए हमारे जवान कितनी बड़ी कीमत चुकाते हैं। पस्तरा गांव का यह बेटा आज पूरे देश का गर्व बन गया है।