उत्तर और दक्षिण को जोड़ने की अनूठी पहल, श्री काशी विश्वनाथ धाम से रामेश्वरम तक त्रिवेणी जल का आदान-प्रदान
उत्तर और दक्षिण भारत को एकात्मता के सूत्र में पिरोने की एक खास पहल श्री काशी विश्वनाथ धाम से शुरू हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार की शाम रामेश्वरम मंदिर न्यास के प्रतिनिधियों को त्रिवेणी का पवित्र जल सौंपा। यह जल विशेष रूप से श्री काशी विश्वनाथ धाम से भेजा गया है, जिसे रामेश्वरम के ज्योतिर्लिंग में विशेष पूजा-अर्चना के लिए उपयोग किया जाएगा।
त्रिवेणी जल और रेत का महत्व
श्री काशी विश्वनाथ धाम से भेजे गए इस त्रिवेणी जल और रेत का उपयोग रामेश्वरम के प्रमुख ज्योतिर्लिंग, श्री रामनाथस्वामी भगवान के अभिषेक में किया जाएगा। यह आयोजन धार्मिक भावनाओं से जुड़ी गहरी एकता और संस्कृतिक समरसता का प्रतीक माना जा रहा है।
रामेश्वरम से काशी को जलाभिषेक
वहीं, उत्तर-दक्षिण की इस धार्मिक कड़ी में दक्षिण भारत से भी एक पहल की गई है। रामेश्वरम से भेजे गए पवित्र जल का इस्तेमाल सावन की पूर्णिमा तिथि पर काशी के विश्वनाथ मंदिर में श्री विश्वेश्वर भगवान का जलाभिषेक करने के लिए किया जाएगा। यह पारंपरिक अनुष्ठान दोनों पवित्र स्थानों को धार्मिक रूप से जोड़ता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
यह कदम न केवल धार्मिक भावना को मजबूत करता है बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मेल-जोल को भी प्रोत्साहित करता है। ऐसे प्रयास देश की एकता और अखंडता को और सुदृढ़ बनाते हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पहल को एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि धार्मिक स्थलों के बीच इस प्रकार के आदान-प्रदान से देश की सांस्कृतिक विरासत को नई पहचान मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह आयोजन देशवासियों में आपसी भाईचारे और सहयोग की भावना को बढ़ावा देगा।
उत्तर और दक्षिण भारत के इन पवित्र स्थानों के बीच इस अनूठी पहल ने धार्मिक व सांस्कृतिक एकता की एक मिसाल कायम की है। यदि आप चाहें तो इस विषय पर और विस्तार से धार्मिक महत्व, कार्यक्रम की पूरी रिपोर्ट और आगामी अनुष्ठानों की जानकारी भी प्रदान की जा सकती है।