×

लखनऊ में फर्जी CBI अफसर बनकर 56 लाख की ठगी करने वाला गिरोह गिरफ्तार, साइबर सेल की बड़ी कार्रवाई

 

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में फर्जी सीबीआई अधिकारी बनकर लोगों को ठगने वाले गैंग का पर्दाफाश हुआ है। लखनऊ पुलिस की साइबर सेल ने इस हाई-प्रोफाइल ठगी में शामिल गिरोह के सरगना चित्रांश समेत उसके दो साथियों मोहन कुमार रावत और मोहम्मद जैद को गिरफ्तार किया है। तीनों को लखनऊ से ही गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस के अनुसार, यह गैंग बेहद सुनियोजित तरीके से लोगों को फोन कर खुद को सीबीआई या किसी अन्य जांच एजेंसी का अफसर बताकर डराता था। इसी क्रम में इन्होंने 12 जुलाई को लखनऊ निवासी रीता भसीन नाम की महिला को अपना निशाना बनाया। आरोपी चित्रांश ने महिला को कॉल कर खुद को सीबीआई अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम पर एक गंभीर आपराधिक मामला दर्ज है, जिसमें उन्हें “डिजिटल अरेस्ट” किया जा रहा है।

गिरोह के सदस्यों ने रीता भसीन को मानसिक रूप से इतना डरा दिया कि वह उनके निर्देशों पर चलने को मजबूर हो गईं। आरोपियों ने वीडियो कॉल के जरिए महिला पर लगातार निगरानी भी रखी, ताकि वह किसी से संपर्क न कर सके। इस दौरान उन्होंने महिला से कुल 56 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करवा लिए।

लखनऊ साइबर सेल ने जब मामले की गंभीरता को समझा तो तकनीकी विश्लेषण और बैंकिंग ट्रांजेक्शनों के आधार पर जांच शुरू की। कॉल डिटेल, लोकेशन और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की मदद से आखिरकार पुलिस ने गिरोह के तीनों सदस्यों को दबोच लिया। पुलिस को इनके कब्जे से कई मोबाइल फोन, लैपटॉप, फर्जी पहचान पत्र, और कई बैंक खातों से जुड़े दस्तावेज भी बरामद हुए हैं।

पुलिस की शुरुआती जांच में खुलासा हुआ है कि यह गैंग दिल्ली-एनसीआर और अन्य बड़े शहरों में भी इसी तरह की ठगी कर चुका है। ये आरोपी लोगों को डिजिटल अरेस्ट, मनी लॉन्ड्रिंग, या अवैध लेन-देन के नाम पर धमकाते और उनसे मोटी रकम वसूलते थे।

लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के साइबर सेल प्रभारी ने बताया कि इस गिरोह की कार्यप्रणाली बेहद पेशेवर थी और ये खुद को कानूनी और तकनीकी रूप से मजबूत दिखाकर पीड़ित को भ्रमित करते थे। गिरोह के खिलाफ ठोस सबूत जुटा लिए गए हैं और आगे की पूछताछ में और भी नामों के खुलासे की उम्मीद है।

फिलहाल तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी गहन जांच कर रही है और यह भी जांच की जा रही है कि क्या इस गिरोह के तार किसी बड़े साइबर ठग नेटवर्क से जुड़े हैं।

यह मामला न केवल साइबर अपराध की बढ़ती चुनौतियों को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे ठग तकनीक का इस्तेमाल कर आम लोगों को मानसिक रूप से बंधक बना रहे हैं। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान कॉल पर सतर्क रहें और ऐसी किसी भी घटना की तत्काल सूचना पुलिस या साइबर सेल को दें।