बागपत से कानपुर तक 435 किमी की उम्मीद: बुजुर्ग ने डीएम से लगाई न्याय की गुहार
साहब, विश्वास की डोर मुझे बागपत से कानपुर तक खींच लाई। आपके भरोसे आया हूं, मेरी बात फिर से सुनिए।" इन भावुक शब्दों के साथ 65 वर्षीय राजकुमार ने सोमवार को जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह से मुलाकात की और अपनी वर्षों पुरानी समस्या के समाधान की गुहार लगाई। राजकुमार 435 किलोमीटर की लंबी दूरी तय कर बागपत से विशेष रूप से कानपुर आए थे, क्योंकि उन्हें डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह पर अब भी भरोसा था।
राजकुमार ने जिलाधिकारी को बताया कि जब वे पहले बागपत में पदस्थ थे, तब उन्होंने उनकी समस्या को गंभीरता से लिया था और तत्कालीन अधिकारियों को निस्तारण के स्पष्ट निर्देश भी दिए थे। लेकिन, उनके तबादले के बाद से स्थानीय प्रशासन ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। परिणामस्वरूप उन्हें अब भी वही परेशानी झेलनी पड़ रही है।
बुजुर्ग राजकुमार की आंखों में उम्मीद और चेहरे पर थकावट साफ झलक रही थी। उनका कहना था कि वह कई बार बागपत के अधिकारियों के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या को लेकर किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई। जब उन्हें यह पता चला कि जितेंद्र प्रताप सिंह अब कानपुर के जिलाधिकारी हैं, तो उन्होंने एक बार फिर उनसे मिलने और न्याय की आस में यह लंबा सफर तय करने का निश्चय किया।
जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने न सिर्फ राजकुमार की बात ध्यान से सुनी, बल्कि तत्काल संबंधित विभाग को पत्राचार कर मामले की पूरी जानकारी मंगवाने और समाधान के लिए उचित कदम उठाने के निर्देश भी दिए। डीएम ने राजकुमार को भरोसा दिलाया कि उनकी समस्या को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाएगा और उनके भरोसे को टूटने नहीं दिया जाएगा।
इस मुलाकात ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि प्रशासनिक पदों पर बैठे कुछ अधिकारी आज भी आम लोगों के विश्वास का प्रतीक बने हुए हैं। वहीं, राजकुमार जैसे नागरिकों की उम्मीदें यह दर्शाती हैं कि यदि अफसर संवेदनशील हों, तो आम आदमी सैकड़ों किलोमीटर चलकर भी अपने अधिकार की आवाज उठाने से नहीं हिचकता।
राजकुमार की व्यथा और उनके साहस की यह कहानी न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह प्रशासन के प्रति जनता की उम्मीद और भरोसे का भी परिचायक है। अब देखना यह होगा कि बागपत प्रशासन इस बार उनकी समस्या को कितनी जल्दी सुलझाता है।