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जयप्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय की 28 छात्राएं फूड पॉइजनिंग का शिकार, अस्पताल में भर्ती

 

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले से एक चिंताजनक खबर सामने आई है। बेवर क्षेत्र स्थित जयप्रकाश नारायण सर्वोदय विद्यालय की 28 छात्राएं बुधवार को फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गईं, जिसके बाद विद्यालय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। बीमार छात्राओं को तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेवर में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज देर रात तक चलता रहा।

घटना की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम और स्थानीय प्रशासन सक्रिय हो गया। प्राथमिक जांच में पता चला है कि छात्राओं को विद्यालय के भोजन से फूड पॉइजनिंग हुई है। सभी छात्राओं ने दोपहर का भोजन करने के बाद पेट दर्द, उल्टी और चक्कर आने की शिकायत की, जिसके बाद शिक्षकों और कर्मचारियों ने तुरंत एंबुलेंस और निजी वाहनों की मदद से उन्हें अस्पताल पहुंचाया।

चिकित्सकों के अनुसार, अधिकतर छात्राओं को हल्की से मध्यम स्तर की फूड पॉइजनिंग की शिकायत थी, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद निगरानी में रखा गया। कुछ छात्राओं की हालत गंभीर होने पर उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। अस्पताल में देर रात तक स्वास्थ्य कर्मियों की टीम इलाज में जुटी रही।

अस्पताल पहुंची छात्राओं के परिजनों ने विद्यालय प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यदि भोजन की गुणवत्ता पर समय रहते ध्यान दिया जाता तो इस तरह की घटना से बचा जा सकता था। घटना के बाद विद्यालय में भय और चिंता का माहौल है।

जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। उपजिलाधिकारी और सीएमओ की संयुक्त टीम ने विद्यालय का दौरा कर रसोईघर और खाद्य सामग्री के सैंपल लिए हैं, जिन्हें जांच के लिए लैब भेजा गया है। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस घटना ने विद्यालयों में मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता और निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह कोई पहली बार नहीं है जब सरकारी या सहायता प्राप्त विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को फूड पॉइजनिंग का सामना करना पड़ा हो। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि भोजन की गुणवत्ता की नियमित जांच और साफ-सफाई के कठोर पालन के बिना ऐसी घटनाएं दोहराई जा सकती हैं।

फिलहाल सभी छात्राओं की हालत स्थिर बताई जा रही है और उन्हें जल्द स्वस्थ होकर छुट्टी मिलने की उम्मीद है। प्रशासन और विद्यालय प्रबंधन पर अब यह जिम्मेदारी है कि वे ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने दें और छात्रों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।