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SAWAI-MADHOOPUR  घटिया निर्माण, पांच माह में ही क्षतिग्रस्त हुई नहर सवाल, अंतिम छोर के खेतों में कैसे पहुंचेगा पानी

 

राजस्थान न्यूज़ डेस्क !!! ढील बांध से बागडोली नहर की पुलिया तक जाने वाले लगभग चार किलोमीटर नहर कच्ची है।फिर नहर को कच्ची छोड़ दिया। कुल मिलाकर ठेकेदार द्वारा टुकड़ों में नहर को पक्की करने का काम किया गया है। सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि, कुछ जगहों पर तो यह नहर पक्की है तो वहीं शेष जगहों पर इसे कच्ची छोड़ दिया है।खबरों से प्राप्त जानकर के अनुसार बताया जा रहा है कि,जल संसाधन विभाग की ओर से ढील बांध की नहर को पक्की करने का कार्य करीब 21 करोड़ की लागत से किया जा रहा है। 16 फुट भराव क्षमता वाले ढील बांध की 43 किलोमीटर नहर है, जो मलारना डूंगर तक जाती है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब पूरी नहर का पक्का निर्माण नहीं किया जाएगा तो नहर का पानी आखिरी छोर तक कैसे जाएगा। वहीं दूसरी ओर जहां पर भी नहर को पक्का करने का कार्य किया गया है, वह भी गुणवत्तापूर्वक नहीं किया गया।

बांध की नहर के पानी पर लगभग 32 गांव के किसान निर्भर है, जब तक इसका पक्का निर्माण पूरा नहीं होगा, तब तक नहर का पानी आखिरी टेल तक नहीं पहुंचेगा। इसके कारण कई गांवों के किसानों की फसलों को बांध का पानी नहीं मिल सकेगा।नहर में किया गया घटिया निर्माण कार्य अब धीरे-धीरे उजागर होने लगा है। करोड़ों की लागत से बनी पक्की नहरें कई जगहों में क्षतिग्रस्त हो गई है।निर्माण के कुछ ही महीनों के बाद यह नहर बरसात भी झेल नहीं पाई और जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई।जानकारी के अनुसार ढील बांध की नहर का निर्माण कार्य करीब तीन साल से चल रहा है। ठेकेदार द्वारा घटिया तरीके से नहर का निर्माण किया गया है, जिस कारण से पांच-छह महीने के भीतर ही नहर जगह-जगह से क्षतिग्रस्त होने लगी है।

नतीजा यह हुआ कि ठेकेदार अपनी मनमानी से घटिया निर्माण करता चला गया और पूरी नहर भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गई। नहर में बांध का पानी छोड़ने से पूर्व नहर बरसात के पानी से ही ग्रसित हो गई है तो बांध का पानी छोड़ने के बाद नहर कहां तक टिकेगी। नहरों के निर्माण के लिए जो मापदंड तय किए गए थे, उनकी अनदेखी कर निर्माण किया गया है। किसानों ने मांग की है कि नहरों के निर्माण की वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जांच करवाकर दोषी ठेकेदार के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।