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"SIR से वोटर हटाओ, सत्ता बचाओ....' प्रशांत किशोर का NDA पर बड़ा हमला, वीडियो में देखे क्या बताया बीजेपी का भविष्य ?

 

देश के जाने-माने चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज अभियान के संयोजक प्रशांत किशोर ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है जिसने भारतीय राजनीति में हलचल मचा दी है। बिहार में एक जनसभा को संबोधित करते हुए किशोर ने कहा कि "सरकार की रणनीति अब SIR से मतदाताओं को हटाने और सत्ता बचाने तक सीमित रह गई है।" अपने ताज़ा बयान में उन्होंने दावा किया कि नवंबर तक एनडीए सरकार गिर सकती है और देश की राजनीति में बड़ा बदलाव संभव है।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/MvRgnSOyeQc?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/MvRgnSOyeQc/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title=""SIR से वोटर हटाओ, सत्ता बचाओ?" | Prashant Kishor का बड़ा दावा | November में जाएगी NDA सरकार!" width="1250">
प्रशांत किशोर ने 'SIR' शब्द का अर्थ समझाते हुए कहा - यह तीन मुख्य सामाजिक समूहों का संक्षिप्त रूप है: अनुसूचित जाति (SC), इस्लामी (मुस्लिम) और ग्रामीण गरीब (ग्रामीण गरीब)। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार इन वर्गों को व्यवस्थित रूप से हाशिए पर धकेलने की कोशिश कर रही है, ताकि उसके 'मूल मतदाता आधार' को संतुष्ट किया जा सके और किसी तरह सत्ता बचाई जा सके।उन्होंने कहा,"सरकार का उद्देश्य अब लोगों की समस्याओं का समाधान करना नहीं, बल्कि मुद्दों से ध्यान भटकाना और अपनी स्थिति बनाए रखना है। इसके लिए अनुसूचित जाति, मुस्लिम और ग्रामीण गरीबों को योजनाओं, नीतियों और अवसरों से वंचित किया जा रहा है।"

प्रशांत किशोर ने यह भी दावा किया कि एनडीए गठबंधन में बड़ी दरारें उभर आई हैं और इसका असर आने वाले महीनों में दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि "अगर हालात ऐसे ही रहे, तो नवंबर 2025 तक यह सरकार अपने ही बोझ तले ढह जाएगी।"उनके अनुसार, विपक्षी दलों में नई एकता और जनता में असंतोष का माहौल मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी बन गया है। अपने अनुभव और ज़मीनी पकड़ के आधार पर उन्होंने भविष्यवाणी की कि आने वाले चुनावों में "जनता वोट नहीं देगी, बल्कि हिसाब लेगी।"

हालांकि, भाजपा नेताओं ने प्रशांत किशोर के बयान को "जन सुराज की हताशा" और "लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश" बताया। पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि "प्रशांत किशोर के पास न तो कोई ठोस आंकड़े हैं और न ही कोई जनाधार। उनका काम सिर्फ़ भ्रम फैलाना है।"

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि किशोर का यह बयान सिर्फ़ एक रणनीतिक चाल नहीं, बल्कि आने वाले राजनीतिक समीकरणों का संकेत हो सकता है। अपनी पैनी नज़र और बेबाक रणनीतियों के चलते वे पहले भी कई चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा चुके हैं।

अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी हक़ीक़त में बदलती है या सिर्फ़ एक राजनीतिक छलावा बनकर रह जाती है। लेकिन इतना तो तय है कि "SIR से वोटर हटाओ, सत्ता बचाओ" जैसे वाक्य ने देश की राजनीति में एक नई बहस ज़रूर छेड़ दी है।