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दुनिया में जब भी किसी किले का नाम लिया जाता है तो इस किले को याद किया जाता है, डॉक्यूमेंट्री में देखें ये खास किला 

 

ट्रेवल न्यूज़ डेस्क, शहर, जो शानदार किले, महल, राजसी इमारत और कई ऐतिहासिक वीरता की लडाइयों को अपने अंदर समेटे आज दुनिया भर के लिए भारत में सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक जगह है जयपुर यानि पिंक सिटी। यहां स्थित हवाल महल, सिटी पैलेस, आमेर का किला, जल महल आदि ऐसे कई प्राचीन और प्रसिद्ध इमारत और महल है, जो आज भी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। लेकिन, इन प्राचीन महलों और इमारतों के बीच एक ऐसा भी फोर्ट है जहां घूमना और उसके बारे में जाना अक्सर पर्यटक भूल जानते हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं विश्व प्रसिद्ध फोर्ट नाहरगढ़ किले के बारे में। मुग़ल और राजपुताना शान के लिए प्रसिद्ध रहा ये किला आज भी समृद्ध इतिहास और संस्कृति को दर्शाता है। आज इस लेख में हम आपको इस किले के बारे में कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं।

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साल 1734 में जयपुर के संस्थपक कहे जाने वाले महाराजा सवाई जय सिंह ने नाहरगढ़ किले को बनवाया था। लगभग साल 1868 के आसपास बनकर तैयार हुआ यह महल। कहा जाता है कि उस मसय इस किले को गर्मियों के मौसम में अधिक इस्तेमाल किया जाता था। इसे किले को लेकर यह बोला जाता है कि राजस्थान का एक मात्र ऐसा फोर्ट है जहां कभी भी हमला नहीं हुआ। साल 1857 के सिपाही विद्रोह के समय कई स्थानीय और यूरोपीय लोगों को इसी महल में हिफाज़त के लिए रखा गया था। कहा जाता है कि पहले इस किले को सुदर्शनगढ़ किले के नाम से जाना जाता था लेकिन, बाद में नाहरगढ़ किला नाम रखा गया।

इंडो-यूरोपियन आर्किटेक्चर के रूप में विख्यात यह महल बेहतरीन संरचनाओं के लिए जाना जाता है। जयपुर के कई शासकों का मंदिर भी इस महल में स्थापित है। कहा जाता है कि इस फोर्ट में रानियों के लिए लगभग 12 खास और अद्भुत कमरे बनवाए गए थे। इस महल में दीवान-ए-आम एक ऐसी जगह थी, जहां अक्सर राजा अपने प्रजा से मिलकर उनका दुःख सुना करते थे। दीवारों पर अलग-अलग चित्र इस और लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस फोर्ट को जयपुर में सबसे सुरक्षित फोर्ट माना जाता था।

कहा जाता है कि नाहरगढ़ किले के अंदर सबसे आकर्षित और सबसे प्रसिद्ध माधवेंद्र पैलेस है। कहा जाता है कि इस पैलेस को महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय ने अपने शानदार वापसी के रूप में इसका निर्माण करवाया था। हालांकि, पहले इसके अंदर सैलानी घूमने के लिए नहीं जा सकते थे लेकिन, साल 2017 में इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया। इसे 'द स्कल्पचर पार्क अत माधवेन्द्र पैलेस' के नाम से भी जाना जाता है।