राजस्थान के श्रमिकों के खाड़ी देशों में लापता होने से परिवारों में त्रासदी, बच्चों की गुहार ने बढ़ाई संवेदनशीलता
राजस्थान के छोटे-छोटे गांवों से रोज़गार की तलाश में खाड़ी देशों की ओर उड़ान भरने वाले श्रमिकों के सपने अब उनके परिवारों के लिए सजा बन चुके हैं। सऊदी अरब, यूएई, कतर और अन्य खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों में बेहतर भविष्य की उम्मीद लेकर गए सैकड़ों राजस्थानी श्रमिक लापता हो चुके हैं।
इनमें से कई धोखेबाज एजेंटों के जाल में फंस गए, तो कुछ कठिन कामकाजी परिस्थितियों और कानूनी पचड़ों का शिकार बने। कई श्रमिक ऐसे हालात में फंसे हैं जहां वे अपने परिवारों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं और न ही अपने अधिकार सुरक्षित कर पा रहे हैं। इससे उनके परिवारों पर मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक दबाव बढ़ गया है।
राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में लापता हुए श्रमिकों के परिवार लगातार अपने प्रियजनों की तलाश में लगे हैं। बच्चों की मार्मिक गुहार, “मोदी जी, मेरे पापा को ढूंढ दीजिए”, इस दुखद स्थिति की संवेदनशीलता को और बढ़ा रही है। माता-पिता और अन्य परिवारजन भी इस असमंजस की स्थिति से अत्यधिक परेशान हैं, क्योंकि उन्हें न तो अपने रिश्तेदारों की स्थिति के बारे में जानकारी मिल रही है और न ही कोई मदद मिलने की गारंटी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि खाड़ी देशों में काम करने जाने वाले श्रमिकों के लिए सही एजेंट का चयन और कानूनी सुरक्षा का होना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण इलाकों से सबसे अधिक लोग खाड़ी देशों में जाते हैं, लेकिन इसके लिए पर्याप्त जागरूकता और सरकारी निगरानी नहीं है। इस कमी के कारण कई लोग धोखाधड़ी और कष्टदायक परिस्थितियों के शिकार बन जाते हैं।
सरकारी अधिकारी भी मानते हैं कि खाड़ी देशों में श्रमिकों की संख्या और उनकी स्थिति को लेकर पारदर्शिता की कमी है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय और श्रम विभाग को मिलकर लापता श्रमिकों की पहचान, सहायता और सुरक्षित वापसी के लिए विशेष पहल करनी चाहिए।
स्थानीय परिवारों ने भी सरकार और एजेंसियों से अपील की है कि वे अपने प्रियजनों को सुरक्षित लाने और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रहे मानसिक और भावनात्मक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
इस स्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि खाड़ी देशों में रोजगार पाने के लिए गांवों से बाहर जाने वाले श्रमिकों को उचित प्रशिक्षण, कानूनी जानकारी और सरकारी सहायता मिलना जरूरी है। यही नहीं, उनके परिवारों के लिए भी आपातकालीन संपर्क और मदद उपलब्ध होनी चाहिए।
इस प्रकार, राजस्थान के ग्रामीण इलाकों से खाड़ी देशों में रोजगार पाने गए श्रमिकों की लापरवाही और लापता होने की घटनाओं ने परिवारों में दुख और चिंता की लहर पैदा कर दी है। बच्चों की बेबसी और परिवारों की निराशा इस सामाजिक समस्या की गंभीरता को उजागर करती है।