44 साल पहले बंद हुआ था Jaguar जेट का निर्माण! फिर भी आज तक इस्तेमाल में क्यों है ये पुराना फाइटर? जानिए इसकी ताकत और कमियां
9 जुलाई 2025 को राजस्थान के चूरू जिले में भारतीय वायुसेना का एक जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह दुर्घटना रतनगढ़ तहसील के भानुदा गाँव में हुई, जहाँ विमान दोपहर लगभग 1:25 बजे आग के गोले के रूप में एक खेत में गिर गया। यह जगुआर विमान दो सीटों वाला था। इसने सूरतगढ़ वायुसेना अड्डे से उड़ान भरी थी। पायलट की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। बचाव अभियान शुरू हो गया है।
दुर्घटना का विवरण
यह जगुआर लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना का एक महत्वपूर्ण लड़ाकू विमान है, जो सूरतगढ़ वायुसेना अड्डे से नियमित उड़ान पर था। रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह विमान चूरू जिले के रतनगढ़ क्षेत्र के भानुदा गाँव के पास एक खेत में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विमान हवा में अचानक असंतुलित हो गया। तेज़ी से नीचे गिरने से पहले यह आग का गोला बन गया। दुर्घटना के बाद, इलाके में धुएँ का गुबार छा गया, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई।
स्थान: चूरू जिला, रतनगढ़ तहसील, भानुदा गाँव
समय: 9 जुलाई, 2025, दोपहर लगभग 1:25 बजे
विमान: जगुआर, दो सीटों वाला (दो पायलट)
बेस: सूरतगढ़ वायुसेना अड्डा, राजस्थान
जगुआर विमान क्या है?
जगुआर एक लड़ाकू विमान है, जिसे 1970 के दशक में ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त रूप से बनाया था। भारतीय वायुसेना 1979 से इसका इस्तेमाल कर रही है। यह विमान ज़मीनी हमले और हवाई रक्षा के लिए जाना जाता है।
विशेषता: यह दो सीटों वाला विमान है, जिसमें दो पायलट बैठ सकते हैं। यह 1700 किमी/घंटा की गति से उड़ान भर सकता है। हथियार ले जाने में सक्षम।
भारतीय वायुसेना में भूमिका: जगुआर का इस्तेमाल गहरे पैठ वाले हमले और टोही अभियानों के लिए किया जाता है।
सूरतगढ़ बेस: सूरतगढ़ राजस्थान में भारतीय वायुसेना का एक प्रमुख बेस है, जहाँ से जगुआर और अन्य विमान उड़ान भरते हैं।
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जगुआर विमान दुर्घटनाएँ पहले भी हो चुकी हैं
अप्रैल 2025: गुजरात के जामनगर के पास सुवरदा गाँव में एक जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। उस दुर्घटना में दो पायलटों में से एक की मौत हो गई, जबकि दूसरा सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहा। यह दुर्घटना रात में एक प्रशिक्षण मिशन के दौरान हुई थी।
मार्च 2025: हरियाणा के अंबाला एयरबेस से उड़ान भरने के बाद एक जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। पायलट उसमें सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहा।
इन दुर्घटनाओं का कारण ज़्यादातर तकनीकी खराबी बताया जाता है। चूरू में हुई इस दुर्घटना का कारण भी तकनीकी खराबी हो सकती है, लेकिन इसकी जाँच अभी शुरू नहीं हुई है।
दुर्घटना का कारण और जाँच
दुर्घटना का सही कारण अभी स्पष्ट नहीं है। भारतीय वायुसेना ने इसकी जाँच शुरू कर दी है। संभावित कारणों में शामिल हो सकते हैं...
तकनीकी खराबी: जगुआर विमान पुराने हो गए हैं। रखरखाव संबंधी समस्याएँ आ रही हैं।
पायलट की गलती: हालाँकि, इसकी संभावना कम है, क्योंकि भारतीय वायु सेना के पायलट अच्छी तरह प्रशिक्षित हैं।
बाहरी कारण: पक्षी का टकराना या खराब मौसम भी इसका कारण हो सकता है।
वायु सेना और रक्षा मंत्रालय की टीमें मलबे की जाँच करेंगी। वे ब्लैक बॉक्स (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर) का विश्लेषण करेंगी। दुर्घटना का असली कारण जाँच के बाद ही पता चलेगा।
भारतीय वायु सेना के लिए चुनौती
जगुआर विमान भारतीय वायु सेना का एक महत्वपूर्ण अंग हैं, लेकिन इनके बार-बार दुर्घटनाग्रस्त होने से सवाल उठ रहे हैं। ये विमान 40 साल से भी ज़्यादा पुराने हैं। इनके आधुनिकीकरण के प्रयास जारी हैं। भारतीय वायु सेना अब राफेल और स्वदेशी तेजस जैसे नए विमानों पर ज़्यादा ध्यान दे रही है। फिर भी, कई अभियानों के लिए जगुआर अभी भी ज़रूरी हैं।
आइए जानते हैं इसकी ताकत...
जगुआर लड़ाकू विमान को SEPECAT जगुआर भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल पहले ब्रिटिश और फ्रांसीसी वायु सेना करती थी। यह अभी भी भारतीय वायु सेना में सेवा दे रहा है। 1968 से 1981 तक दुनिया भर में कुल 573 जगुआर लड़ाकू विमान बनाए गए।भारतीय वायु सेना के पास 160 जगुआर विमान हैं, जिनमें से 30 प्रशिक्षण के लिए हैं। इसका मुख्य काम ज़मीन पर हमला करना है। भारत में इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा बनाया जाता है। इस विमान के कई प्रकार हैं। कुछ को एक ही पायलट उड़ाता है, जबकि कुछ को दो पायलट मिलकर उड़ाते हैं।