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राजस्थान में नए राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति से मच गया बवाल, फुटेज में जाने फिर शुरू हुआ सियासी घमाशान 

 

राजस्थान में राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद को लेकर सियासी और प्रशासनिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। मौजूदा निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता का कार्यकाल 17 सितंबर को समाप्त हो रहा है। वहीं, दिसंबर में पंचायत और निकाय चुनाव कराने की तैयारी के चलते सरकार इस महत्वपूर्ण पद को खाली नहीं छोड़ सकती। इस स्थिति ने नए निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति को लेकर कई चर्चाओं और अटकलों को जन्म दे दिया है।

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सूत्रों की मानें तो राजस्थान के नए निर्वाचन आयुक्त की रेस में फिलहाल चार अफसरों के नाम सामने आए हैं। इनमें सबसे प्रमुख और चर्चा में रहने वाली आईएएस अधिकारी शुभ्रा सिंह हैं। शुभ्रा सिंह को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। उनके नाम को लेकर प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारों में लगातार चर्चा हो रही है। उनके पक्ष में यह भी तर्क दिया जा रहा है कि महिला आईएएस के रूप में उनकी नियुक्ति से प्रशासनिक संतुलन और शासन में विविधता भी बनी रहेगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस नियुक्ति में जातीय समीकरणों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। राजस्थान में पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों में जातीय समीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसी कारण सरकार इस नियुक्ति को लेकर किसी जल्दबाजी में कदम नहीं उठाना चाहती। राजनीतिक दलों और अफसरशाही के बीच चल रही चर्चाओं का मुख्य फोकस यही है कि नए निर्वाचन आयुक्त का चयन संतुलित और प्रभावशाली होना चाहिए, जिससे आने वाले चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न हो सकें।

सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि शुभ्रा सिंह के अलावा अन्य तीन अफसरों के नाम पर भी विचार किया जा रहा है। हालांकि उनके नाम सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आए हैं, लेकिन माना जा रहा है कि इनमें अनुभवी और प्रशासनिक मामलों में दक्ष अधिकारी शामिल हैं। इन सभी अफसरों में से चयन प्रक्रिया में कई कारकों को ध्यान में रखा जाएगा, जिसमें अनुभव, निष्पक्षता, प्रशासनिक क्षमता और राजनीतिक संतुलन प्रमुख होंगे।

मौजूदा स्थिति में जयपुर से दिल्ली तक यह सवाल उठाया जा रहा है कि राज्य निर्वाचन आयुक्त का चयन किस आधार पर होगा और कौन सी नीति के तहत अंतिम निर्णय लिया जाएगा। सरकार की कोशिश रहेगी कि चयन ऐसा हो जो राज्य में होने वाले पंचायत और निकाय चुनावों को सुचारू रूप से सम्पन्न कराए और किसी भी तरह की सियासी असंतुलन की स्थिति न बने।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति केवल प्रशासनिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सियासी और सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए की जाएगी। शुभ्रा सिंह के नाम पर चर्चा इसलिए भी तेज है क्योंकि उनके पास न सिर्फ प्रशासनिक अनुभव है, बल्कि वे विभिन्न सामाजिक समूहों और समुदायों के साथ समन्वय बनाने में सक्षम मानी जाती हैं।

अंततः, राजस्थान के नागरिकों और राजनीतिक विश्लेषकों की निगाहें इस नियुक्ति पर टिकी हुई हैं। 17 सितंबर के बाद नए निर्वाचन आयुक्त का कार्यभार संभालने से पहले ही सरकार की योजना, राजनीतिक समीकरण और प्रशासनिक संतुलन सभी पर ध्यान दिया जाएगा। आगामी कुछ हफ्तों में इस पर अंतिम निर्णय आने की संभावना है, जो राजस्थान के चुनावी परिदृश्य में अहम भूमिका निभाएगा।