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रैवासा धाम में गूंजा 'हिंदू राष्ट्र' का जयघोष, मोहन भागवत ने कहा- भारत ही पूरे विश्व को धर्म देगा

 

राजस्थान के सीकर जिले में स्थित ऐतिहासिक रैवासा धाम इस समय आध्यात्मिक और वैचारिक मंथन का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत मंगलवार को इस पावन स्थल पर एक बड़े आयोजन में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने संत राघवाचार्य जी महाराज की मूर्ति का अनावरण किया और साथ ही एक वेद विद्यालय का भी लोकार्पण किया।

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में हजारों की संख्या में संघ के कार्यकर्ता, श्रद्धालु और स्थानीय लोग मौजूद थे। मोहन भागवत ने अपनी प्रेरणादायक भाषा में हिंदू धर्म और संस्कृति की महत्ता पर बल दिया और संत राघवाचार्य जी महाराज के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि ऐसे संतों ने हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को संजोकर रखा है, जो आज भी हमें जीवन का मार्ग दिखाते हैं।

मूर्ति अनावरण और वेद विद्यालय के उद्घाटन के बाद मोहन भागवत ने अपने संबोधन में हिंदू राष्ट्र की अवधारणा को मजबूती से रखा। उन्होंने कहा कि भारत एक महान सभ्यता और संस्कृति का देश है, जो विश्वगुरु बनने की क्षमता रखता है। उनकी सोच में हिंदू राष्ट्र का मतलब है एक ऐसा देश जहां सभी धर्मों, संस्कृतियों और समुदायों का सम्मान हो, लेकिन अपनी मूल सांस्कृतिक पहचान को मजबूत किया जाए।

मोहन भागवत ने यह भी कहा कि भारत को अपने इतिहास और संस्कृति की ताकत से प्रेरणा लेकर विश्व में अपनी भूमिका को और प्रभावी बनाना होगा। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपने देश की विरासत को समझें और उसे आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाएं।

इस कार्यक्रम के दौरान रैवासा धाम की आध्यात्मिक माहौल ने सभी उपस्थित जनों को गहरे प्रभाव में लिया। वेद विद्यालय के उद्घाटन से यहां शिक्षा और संस्कार के नए आयाम जुड़ेंगे, जो आने वाली पीढ़ी को संस्कृत और वेदों की गहराई से परिचित कराएगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इस आयोजन को स्थानीय प्रशासन और समाज ने भी सराहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज में एकता, संस्कृति और राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा देते हैं।

रैवासा धाम में मोहन भागवत के आगमन से इलाके में उत्साह की लहर दौड़ गई है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का भी प्रतीक माना जा रहा है।

इस अवसर पर विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जिनमें वेदों के पाठ, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक नृत्य शामिल थे। यह सभी गतिविधियां इस पावन स्थल की धार्मिक महत्ता को और भी बढ़ा रही हैं।

कुल मिलाकर, मोहन भागवत का रैवासा धाम आगमन और उनका संबोधन राजस्थान के इस हिस्से में नई ऊर्जा और वैचारिक दिशा लेकर आया है। यह आयोजन भारत की समृद्ध संस्कृति और उसकी विश्वगुरु बनने की आकांक्षा को मजबूती देने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है।