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हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर बारिश के पानी को लेकर छिडी जंग, एक्सक्लूसीव फूटेज में देखें आखिरी क्यों हो रही ये खींचातान

 

हरियाणा और राजस्थान के बीच बारिश के पानी को लेकर विवाद एक बार फिर गरमा गया है। मानसून की शुरुआत के साथ ही राजस्थान के भिवाड़ी क्षेत्र से आने वाला बारिश का पानी हरियाणा के धारूहेड़ा इलाके में घुस रहा है, जिससे यहां बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। जलभराव की स्थिति से परेशान धारूहेड़ा के लोगों ने अब खुद ही पानी रोकने के लिए बॉर्डर पर रैंप और अस्थायी बांध जैसी संरचनाएं बनानी शुरू कर दी हैं।

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स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल बरसात में यही स्थिति बनती है। भिवाड़ी के ऊंचाई पर बसे होने के कारण वहां का बारिश का पानी बहकर सीधे धारूहेड़ा की बस्तियों, खेतों और सड़कों में पहुंचता है। इससे न केवल जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है, बल्कि कई घरों और दुकानों में भी पानी घुस जाता है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि उन्होंने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन समाधान के नाम पर केवल आश्वासन ही मिले।

स्थानीय निवासियों ने खुद संभाली मोर्चा

पानी की लगातार समस्या से परेशान होकर अब धारूहेड़ा के लोगों ने खुद ही पहल करते हुए राजस्थान की सीमा से सटे इलाकों में रैंप, मिट्टी के बांध और अन्य जलरोधी अवरोधक बनाना शुरू कर दिया है। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन समाधान नहीं कर सकता, तो उन्हें अपने संसाधनों से ही अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी।

गांव के सरपंच सुरेंद्र सिंह ने बताया, "हमने जिला प्रशासन को कई बार ज्ञापन सौंपा है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजबूरी में हमें खुद ही यह कदम उठाना पड़ा है। अगर समय रहते समाधान नहीं हुआ तो टकराव और भी बढ़ सकता है।"

राजस्थान प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस पूरे मामले पर राजस्थान के भिवाड़ी प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, स्थानीय सूत्रों के अनुसार, भिवाड़ी नगर परिषद की ओर से जल निकासी की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कुछ प्रस्ताव तैयार किए गए हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं हो पाया है।

टकराव की आशंका बढ़ी

स्थानीय जानकारों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में हरियाणा और राजस्थान के बीच इस मुद्दे को लेकर गंभीर विवाद खड़ा हो सकता है। दोनों राज्यों के प्रशासन को मिल बैठकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना चाहिए, ताकि हर साल मानसून के समय लोगों को इस संकट का सामना न करना पड़े।