मृतक और पुनर्विवाहित महिलाओं की पेंशन जारी, सरकारी खजाने को हुआ करोड़ों का चूना
राजस्थान में सरकारी खजाने को चूना लगाने का चौकाने वाला मामला सामने आया है। राज्य में ऐसे 3.50 लाख से अधिक मामले मिले हैं, जिनमें व्यक्ति की मृत्यु या विधवा के पुनर्विवाह के बावजूद महीनों तक उनके नाम पर पेंशन जारी रही। इस घोटाले से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, पेंशन प्रक्रिया में निगरानी की कमी और भ्रष्टाचार के कारण मृतक या पात्रता खो चुकी महिलाओं की पेंशन लगातार जारी रहती रही। कई मामलों में ऐसे व्यक्तियों की मृत्यु वर्षों पहले हो चुकी थी, फिर भी उनके खाते में पेंशन जमा होती रही। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की त्रुटियों और धांधली का शिकार सरकारी प्रणाली भी हो सकती है, यदि नियमित जांच और सत्यापन नहीं किया जाए।
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि पेंशन घोटाले में अक्सर मध्यस्थ और भ्रष्ट कर्मचारी शामिल होते हैं, जो मृतक या पात्रता खो चुके लाभार्थियों के नाम पर राशि निकाल लेते हैं। यह घोटाला केवल खजाने के लिए हानिकारक नहीं है, बल्कि राज्य के सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों की विश्वसनीयता को भी कमजोर करता है।
सरकार ने ऐसे मामलों की जांच के लिए ऑडिट टीम और डिजिटल सत्यापन प्रणाली लागू करने की दिशा में कदम उठाए हैं। अधिकारीयों का कहना है कि अब पेंशन वितरण में कंप्यूटराइज्ड प्रणाली के माध्यम से मृतक या पात्रता खो चुके लाभार्थियों की पहचान कर राशि रोकने का प्रयास किया जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामलों में राज्य को डिजिटल भुगतान प्रणाली और बैंक लिंक्ड सत्यापन प्रणाली का व्यापक उपयोग करना चाहिए। इससे न केवल भ्रष्टाचार में कमी आएगी बल्कि वास्तविक लाभार्थियों तक ही पेंशन पहुंचेगी।
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि सरकारी योजनाओं का उद्देश्य समाज के जरूरतमंद वर्ग को लाभ पहुँचाना है, लेकिन इस तरह की लापरवाही से गरीब और असहाय वर्ग को वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता।
सरकार ने चेतावनी भी जारी की है कि भविष्य में ऐसे मामलों में शामिल किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, अधिकारियों से कहा गया है कि वे नियमित ऑडिट और सत्यापन के माध्यम से ऐसी घटनाओं को रोकें।
राजस्थान में यह मामला यह दर्शाता है कि पेंशन और अन्य सरकारी योजनाओं में निगरानी की कमी और भ्रष्टाचार कितनी बड़ी समस्या बन सकती है। अब राज्य सरकार और वित्त विभाग ने डिजिटल और पारदर्शी प्रणाली के माध्यम से इस घोटाले को रोकने की दिशा में तेजी से कदम उठाए हैं।