पहले भी इतना ही खूबसूरत था मेरा शहर, देखिए दुर्लभ तस्वीरें

 
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सन् 1949 में भारत के आजाद होने के बाद जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर को जोड़कर राजस्‍थान का निर्माण एक राज्‍य के रूप में किया गया था। इससे पहले राजस्‍थान कई रियासतों में बटा हुआ था। हर रियासत का एक राज था और उसकी अलग राजधानी हुआ करती थी। आजादी के बाद कई सारी रियासतों को जोड़ कर एक राज्‍य का निर्माण किया गया। इसका नाम राजस्‍थान भी इसलिए रखा गया क्‍योंकि यह राजपूतों की धरती थी। एक राज्‍य बनने के बाद जयपुर को राजधानी घोषित किया गया था।

सवाई जयसिंह ने बसाया था जयपुर

world photography day-unseen pictures of jaipur before independence

वर्ष 1726 में आमेर रियासत के महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने आमेर की पहाड़ियों के नीचे एक नये शहर 'जयपुर' की स्थापना की। जयपुर से पहले आमेर एक रियासती शहर हुआ करता था, जो अरावली पर्वतों तक ही सीमित था, बढ़ती आबादी को देखते हुए आमेर के महाराजा ने एक नए शहर की नींव रखने की सोची और जयपुर को चार दीवारों में बसाया।

बड़ी चौपड़: तब और अब

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शहर का बड़ा चौराहा, जो आज माल ढुलाई और वाहनों से भारी भीड़भाड़ वाला है, रियासत के दिनों में बिल्कुल खाली दिखता है। उस समय यहां केवल तांगा और ऊंट गाड़ियाँ चलती थीं, लेकिन आज केवल कुछ दिनों के लिए ही यहाँ मेट्रो ट्रेनें चल रही हैं।

हवामहल के बारे में ये बात नहीं जानते होंगे आप

जयपुर का विश्व प्रसिद्ध हवामहल 1799 में सैयान प्रताप सिंह द्वारा बनाया गया था और लाल चंद उस्ताद द्वारा डिजाइन किया गया था। दरअसल, हवामहल का निर्माण भगवान कृष्ण के मुकुट को देखकर किया गया था और जब आप इसे दूर से देखेंगे तो यह एक मुकुट की तरह दिखेगा।

इतिहास में अल्बर्ट हॉल शामिल है

जयपुर में अल्बर्ट हॉल संग्रहालय की नींव 1876 में रखी गई जिसके बाद 1887 में इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया। अल्बर्ट हॉल संग्रहालय राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है जिसमें ऐतिहासिक पेंटिंग, कालीन, पत्थर, हाथी दांत, धातु की मूर्तियां आदि हैं जिन्हें देखने के लिए हर साल दुनिया भर से लोग आते हैं।

जयपुर पैलेस

क्‍या है राजस्‍थान का इतिहास 

सन् 1949 में भारत के आजाद होने के बाद जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर को जोड़कर राजस्‍थान का निर्माण एक राज्‍य के रूप में किया गया था। इससे पहले राजस्‍थान कई रियासतों में बटा हुआ था। हर रियासत का एक राज था और उसकी अलग राजधानी हुआ करती थी। आजादी के बाद कई सारी रियासतों को जोड़ कर एक राज्‍य का निर्माण किया गया। इसका नाम राजस्‍थान भी इसलिए रखा गया क्‍योंकि यह राजपूतों की धरती थी। एक राज्‍य बनने के बाद जयपुर को राजधानी घोषित किया गया था। राजस्‍थान की राजधानी होने के अलावा जयपुर राजस्‍थान का सबसे बड़ा शहर है। 

वर्ष 1900 की इस तस्‍वीर में राजस्‍थान का स्‍टेट एनिमल कैमिल अपने अटेंडेंट के साथ दिख रहा है।  

जयपुर का इतिहास 

18 नवंबर 1727 में आमेर के राजा जय सिंह ने जयपुर की खोज की थी। हालाकि तब आमेर की राजधानी दौसा हुआ करती थी। मगर बढ़ती हुई प्रजा की संख्‍या और पानी के अभाव के कारण राजा अपनी राजधानी बदलना चाहते थे। इसके लिए जयपुर के निर्माण का विचार उन्‍हें आया। राजा जय सिंह को एस्‍ट्रोलॉजी और आर्कीटेक्‍चर के विषय में पढ़ना अच्‍छा लगता था इसलिए जयपुर को राजधानी बनने से पहले उन्‍होंने अपने दरबार में क्‍लर्क विद्याधर भट्टाचार्य के साथ मिल कर वास्‍तुशास्‍त्र और आर्किटेक्‍चर के नियमों को ध्‍यान में रखकर शहर के निर्माण का नक्‍शा तैयार किया और फिर इस शहर को उसके तहत तैयार किया गया था। 

वर्ष 1907 में जयपुर का चानपुरी गेट कुछ ऐसा दिखता था । 

लंदन की गैलरी में सुरक्षित हैं तस्वीरें

फैस्टिवल में मौजूद तस्‍वीरों में से कुछ तस्‍वीरें ब्रिटेन के फैशन और वॉर फोटोग्राफर सेसिल बीटन के द्वारा क्लिक की गई हैं। खासतौर पर महारानी गायत्री देवी की तस्‍वीरें उन्‍ही की क्लिक की हुई हैं। आपको बता दें कि यह तस्‍वीरें भारत में मौजूद नहीं हैं। बीटन की यह तस्‍वीरें लंदन की नेशनल पोर्ट्रेट गैलरी की हैं। बीटन के अलावा ब्रिटिश फोटोग्राफर्स चार्ल्‍स शेफर्ड और आर्थर रॉबर्टसन के द्वारा क्लिक की गईं कुछ तस्‍वीरों को भी एग्जिबिट किया गया है। 

1870 में ऐसा दिखता था जयपुर का गर्ल्‍स स्‍कूल 

जोहरी बाजार का हल्दिया हाउस 

  जैन टेम्‍पल 1900

महाराजा टेम्‍पल वर्ष 1900 में ऐसा दिखता था। 

जयपुर का त्रिपोली गेट, साल 1900