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केसी घुमरिया ने फिर बोला प्रदेश सरकार पर जुबानी हमला, वीडियो में जानें प्रदेशाध्यक्ष बोले- समरावता न्याय यात्रा निकालेंगे

 

समरावता प्रकरण को लेकर अखिल भारतीय आदिवासी परिषद राजस्थान ने एक बार फिर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। परिषद के प्रदेशाध्यक्ष केसी घुमरिया ने रविवार को बयान जारी कर कहा कि सरकार इस संवेदनशील मामले में न्याय देने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने मामले की न्यायिक जांच की मांग को दोहराते हुए कहा कि सरकार न तो एसटी कमीशन और न ही मानवाधिकार आयोग की रिपोर्टों को लागू कर रही है, जिससे असली दोषी अब भी खुलेआम घूम रहे हैं और निर्दोष लोग जेल में सजा काट रहे हैं।

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"नरेश मीणा को बेवजह जेल में डाल रखा है"

घुमरिया ने अपने बयान में नरेश मीणा का विशेष रूप से जिक्र करते हुए कहा कि, “सरकार ने एक सोची-समझी साजिश के तहत नरेश मीणा को बेवजह जेल में डाल रखा है, जबकि असल अपराधी अब तक बाहर हैं। यह न सिर्फ आदिवासी समाज के साथ अन्याय है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों का भी उल्लंघन है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की निष्क्रियता से आदिवासी समाज में गहरा आक्रोश है।

आयोगों की रिपोर्टों की अनदेखी

परिषद अध्यक्ष ने बताया कि समरावता प्रकरण में राष्ट्रीय एसटी आयोग और मानवाधिकार आयोग दोनों ने अपनी जांच रिपोर्टों में कई अहम तथ्य उजागर किए हैं, लेकिन सरकार इन रिपोर्टों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने कहा, "जब संवैधानिक संस्थाएं अपनी भूमिका निभा रही हैं, तो सरकार किस दबाव में उनकी सिफारिशें लागू नहीं कर रही है?"

न्यायिक जांच की मांग फिर दोहराई

केसी घुमरिया ने एक बार फिर जोर देते हुए कहा कि यदि सरकार निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से न्याय दिलाना चाहती है, तो समरावता प्रकरण की न्यायिक जांच करवाई जाए। उन्होंने कहा कि "सिर्फ पुलिस जांच या प्रशासनिक कार्रवाई से सच्चाई सामने नहीं आएगी, बल्कि एक स्वतंत्र न्यायिक जांच से ही असली दोषियों को पकड़ा जा सकता है और निर्दोषों को राहत मिल सकती है।"

आदिवासी समाज में बढ़ रहा असंतोष

परिषद का कहना है कि लगातार अनदेखी और न्याय में देरी से आदिवासी समाज में असंतोष बढ़ता जा रहा है। घुमरिया ने चेतावनी दी कि यदि सरकार जल्द इस मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो प्रदेश भर में आदिवासी संगठनों द्वारा आंदोलन किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि पूरे आदिवासी समाज के सम्मान का सवाल है।