चार दिन बाद मिला जगुआर फाइटर प्लेन का ब्लैक बॉक्स, वायुसेना को बड़ी सफलता
राजस्थान के चूरू जिले में चार दिन पहले हुए भारतीय वायुसेना के जगुआर फाइटर प्लेन क्रैश की जांच में एक बड़ी सफलता मिली है। वायुसेना की सर्च टीम को विमान का ब्लैक बॉक्स आखिरकार मिल गया है। ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद अब हादसे की वास्तविक वजहों का खुलासा होने की उम्मीद जताई जा रही है।
क्या है ब्लैक बॉक्स और क्यों है अहम?
ब्लैक बॉक्स, जिसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) के नाम से भी जाना जाता है, किसी भी विमान दुर्घटना की जांच में सबसे महत्वपूर्ण उपकरण होता है। इसमें विमान की उड़ान से जुड़ी सभी जानकारियां और पायलटों के बीच आखिरी बातचीत रिकॉर्ड होती है।
ब्लैक बॉक्स की मदद से तकनीकी खामी, मौसम संबंधी असर, मानवीय त्रुटि जैसी सभी संभावनाओं की जांच की जाती है।
चार दिन से जारी था खोज अभियान
फाइटर प्लेन के क्रैश के बाद से ही वायुसेना और रक्षा मंत्रालय की टीमें मौके पर मौजूद थीं।
हादसा चूरू के ग्रामीण इलाके में हुआ था, जहां विमान के मलबे के बीच ब्लैक बॉक्स की तलाश बेहद चुनौतीपूर्ण रही। लेकिन सैटेलाइट लोकेशन, मेटल डिटेक्टर और विशेषज्ञ डॉग स्क्वॉड की मदद से आखिरकार ब्लैक बॉक्स का सटीक पता लगा लिया गया।
हादसे में दोनों पायलट हुए थे शहीद
गौरतलब है कि इस हादसे में भारतीय वायुसेना के दोनों जांबाज़ पायलट शहीद हो गए थे। विमान नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था, तभी तकनीकी गड़बड़ी के चलते यह दुर्घटना हुई। हादसे के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने सबसे पहले मौके पर पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद की थी।
शहीद पायलटों को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई थी।
जांच के बाद सामने आएगी सच्चाई
ब्लैक बॉक्स मिलने के बाद अब वायुसेना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी (CoI) तकनीकी और अन्य पहलुओं की जांच करेगी।
ब्लैक बॉक्स के डेटा को विश्लेषण करने के लिए उसे विशेष प्रयोगशाला में भेजा जाएगा, जहां से यह पता चल सकेगा कि—
-
विमान में कोई तकनीकी गड़बड़ी थी या नहीं
-
मौसम का प्रभाव कितना था
-
पायलटों ने अंतिम क्षणों में क्या निर्णय लिए
आगे की कार्रवाई
वायुसेना द्वारा इस हादसे की पूरी जांच रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे रक्षा मंत्रालय के सामने पेश किया जाएगा। रिपोर्ट के आधार पर भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के उपाय भी तय किए जाएंगे।
यह भी तय किया गया है कि हादसे की जगह के आसपास सिविल और सैन्य उड़ानों की सुरक्षा प्रक्रिया की समीक्षा की जाएगी।