मारवाड़ महोत्सव 2025 में दिखी राजस्थान–ओडिशा की सांस्कृतिक एकता, ओम बिरला, धर्मेंद्र प्रधान और सीएम भजनलाल शर्मा रहे मौजूद
मारवाड़ महोत्सव 2025 के अवसर पर राजस्थान और ओडिशा की सांस्कृतिक एकता की एक नई और प्रेरणादायक तस्वीर देखने को मिली। इस भव्य सांस्कृतिक आयोजन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शिरकत की। कार्यक्रम ने न केवल लोक कला और परंपराओं को मंच दिया, बल्कि भारत की विविधता में एकता के संदेश को भी मजबूती से प्रस्तुत किया।
महोत्सव के दौरान राजस्थान की पारंपरिक लोक संस्कृति—ढोल, नगाड़े, घूमर और कालबेलिया नृत्य—के साथ-साथ ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक झलक भी देखने को मिली। दोनों राज्यों की लोक कलाओं के संगम ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच पर प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने यह दर्शाया कि अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों के बावजूद भारत की आत्मा एक ही सांस्कृतिक सूत्र में बंधी हुई है।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजन देश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की विविधता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है और राजस्थान व ओडिशा जैसे राज्यों की सांस्कृतिक साझेदारी इस ताकत को और मजबूत करती है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने संबोधन में कहा कि संस्कृति और शिक्षा एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में छिपे मूल्य और परंपराएं युवाओं को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम करती हैं। धर्मेंद्र प्रधान ने राजस्थान की मेहमाननवाजी और मारवाड़ की सांस्कृतिक विरासत की सराहना करते हुए कहा कि ओडिशा और राजस्थान की सांस्कृतिक साझेदारी राष्ट्रीय एकता का सशक्त उदाहरण है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि मारवाड़ महोत्सव राजस्थान की पहचान का उत्सव है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार प्रदेश की लोक संस्कृति, कला और परंपराओं के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए लगातार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल पर्यटन को बढ़ावा देते हैं, बल्कि सांस्कृतिक संवाद को भी सशक्त बनाते हैं।
महोत्सव में देश-विदेश से आए पर्यटकों और स्थानीय लोगों की भारी मौजूदगी रही। ऐतिहासिक स्थलों की पृष्ठभूमि में आयोजित इस कार्यक्रम ने मारवाड़ की शान और परंपरा को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ-साथ स्थानीय हस्तशिल्प, खान-पान और लोक कलाओं की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही।
मारवाड़ महोत्सव 2025 ने यह स्पष्ट कर दिया कि सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से राज्यों के बीच आपसी समझ और सहयोग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है। राजस्थान और ओडिशा की इस सांस्कृतिक एकता ने न केवल दर्शकों का दिल जीता, बल्कि एक भारत–श्रेष्ठ भारत की भावना को भी मजबूती प्रदान की।