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राजस्थान की जीवनरेखा बीसलपुर डैम, वायरल डॉक्यूमेंट्री में जानिए इसके निर्माण से लेकर विस्थापन तक 8 अनछुए पहलू 

 

राजस्थान, जो अपनी शुष्क जलवायु और कम वर्षा के लिए जाना जाता है, वहां जल की एक-एक बूंद कीमती मानी जाती है। ऐसे में बीसलपुर बांध (Bisalpur Dam) सिर्फ एक जल परियोजना नहीं, बल्कि प्रदेश की जीवनरेखा बन चुका है। यह बांध ना केवल जयपुर, अजमेर और टोंक जैसे बड़े शहरों को पानी देता है, बल्कि इसके निर्माण, इतिहास और वर्तमान में कई ऐसे रोचक पहलू हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं।आइए जानते हैं बीसलपुर बांध से जुड़े कुछ अनसुने और अनजाने तथ्य, जो इसे सिर्फ एक जल परियोजना से कहीं ज्यादा खास बनाते हैं।

<a style="border: 0px; overflow: hidden" href=https://youtube.com/embed/vWjK5mJUYgU?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/vWjK5mJUYgU/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" title="Bisalpur Dam Rajasthan, कैसे हुआ बीसलपुर बांध का निर्माण, क्षेत्रफल, प्रमुख नदियां, पाइपलाइन, क्षमता" width="1250">

1. बीसलपुर डैम की नींव कोई नई नहीं, बल्कि ऐतिहासिक है
बहुत कम लोग जानते हैं कि बीसलपुर डैम जिस जगह बना है, वहां पहले भी एक छोटा जल संरचना मौजूद थी जिसे स्थानीय लोग "बीसलपुर तालाब" कहा करते थे। इसका नाम पास के गांव बीसलपुर के नाम पर पड़ा। यह क्षेत्र प्राचीन काल से जल संचयन के लिए जाना जाता रहा है।

2. टोंक जिले का यह बांध बन गया पूरे राजस्थान का जल स्रोत
बीसलपुर डैम मूल रूप से टोंस नदी पर स्थित है, जो कि बनास नदी की सहायक नदी है। वर्ष 1999 में जब यह बांध पूरा हुआ, तो इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई और पीने के पानी की आपूर्ति करना था। लेकिन धीरे-धीरे यह जयपुर, अजमेर, टोंक और किशनगढ़ जैसे शहरी क्षेत्रों की जल आवश्यकताओं का प्रमुख स्रोत बन गया।

 3. विस्थापन की कहानी: हजारों लोग हुए थे प्रभावित
बीसलपुर बांध के निर्माण से पहले, इस क्षेत्र में कई गांव बसे हुए थे। डैम के निर्माण के लिए कई गांवों को डूब क्षेत्र में शामिल किया गया और करीब 40 से अधिक गांवों के लोगों को विस्थापित किया गया। आज भी कई ग्रामीण इस विस्थापन के दर्द और पुनर्वास की असमाप्त कहानियों को याद करते हैं।

4. मानसून पर निर्भरता: एक साल की बारिश से कई सालों का पानी
बीसलपुर डैम की जल स्तर क्षमता इतनी विशाल है कि यदि एक अच्छा मानसून पड़ जाए, तो यह कई वर्षों तक पानी की आपूर्ति बनाए रख सकता है। डैम की कुल जल भंडारण क्षमता लगभग 315.50 मिलियन क्यूबिक मीटर है।लेकिन, यह पूरी तरह मानसून पर निर्भर है। कम बारिश होने पर सबसे पहले जयपुर शहर में पानी की कटौती का असर देखने को मिलता है।

5. एशिया की सबसे लंबी पाइपलाइन परियोजनाओं में शामिल
बीसलपुर से जयपुर तक पानी पहुंचाने के लिए 200 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी पाइपलाइन बिछाई गई है, जो तकनीकी रूप से एशिया की सबसे बड़ी पाइपलाइन परियोजनाओं में से एक मानी जाती है। इस प्रणाली से हर रोज लाखों लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाता है।

6. पानी का स्तर गिरना बनता जा रहा चिंता का विषय
हाल के वर्षों में बीसलपुर डैम का जल स्तर लगातार कम हो रहा है, खासकर कम बारिश वाले वर्षों में। जयपुर जैसे शहरों की बढ़ती आबादी और औद्योगिकीकरण के चलते इस डैम पर निर्भरता बढ़ती जा रही है, लेकिन जल संरक्षण की पहलें अब भी कमजोर हैं।

7. केवल पानी नहीं, पर्यावरणीय विविधता भी है खास
बीसलपुर बांध क्षेत्र सिर्फ जल का स्रोत नहीं बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी समृद्ध क्षेत्र है। मानसून के समय यहां प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ जाती है। इसके आसपास की हरियाली और वनस्पति इसे एक इको-टूरिज्म स्थल का रूप देती है।

8. सुरक्षा को लेकर समय-समय पर उठते रहे हैं सवाल
हालांकि डैम का निर्माण तकनीकी रूप से मजबूत किया गया है, फिर भी विशेषज्ञों ने समय-समय पर इसके सुरक्षा और रखरखाव को लेकर चिंता जताई है। खासकर भूकंप संभावित क्षेत्रों के लिए इसकी निगरानी जरूरी मानी जाती है।